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Ghost Story in Hindi – भूतिया खिलौना की एक भयानक कहानी

Ghost Story in Hindi यह टर्म आज के भारतीय युवा युग में बेहद चर्चित हैं। समाज में हर शख्स की एक कहानी होती है। ठीक उसी प्रकार भूतों की कहानी भी होती है। हालांकि कुछ मनुष्य इन भूतों की कहानियों को मात्र एक वहम बता देते हैं तो बाकी अन्य इन कहानियों पर यकीन करते हैं।

Ghost Story in Hindi

Ghost Story in Hindi में हम आपको विक्रम रघुवंशी के साथ हुई घटनाक्रम को साझा करेंगे, जिसने न केवल विक्रम की जिंदगी बदली बल्कि उसे पागल कर दिया। जानते हैं उसके प्रति घटित हुई घटना के बारे में लिखित ब्योरा।

Ghost Story in Hindi: भूतिया खिलौना

यह कहानी के शुरुआती दौर की घटना आज से तीन वर्ष पूर्व घटी। विक्रम रघुवंशी और उसका दोस्त साहिल ने अपनी एक खिलौने बनाने वाली कंपनी खोली थी। दोनों को बच्चों से बेहद लगाव था। यह दोनों मार्किट में हमेशा से नए आधुनिक तकनीक के खिलौने बनाने के लिए जाने जाते थे।

भारत का सबसे पहला रिमोट कंट्रोल हेलिकॉप्टर खिलौना इन्होंने ही इजात किया था। उस वक्त कंपनी में मीडिया के जमावड़े की तैयारियां चरम पर थी, कारण यह था कि विक्रम और साहिल की कंपनी ने एक अलग खास खिलौने का आविष्कार किया था।

इस खिलौने की खासियत यह थी कि यह खिलौना मात्र एक मामूली खिलौना नहीं बल्कि बच्चों को लुभाने का जरिया था। यह खिलौना बच्चों से बात कर सकता था, उसके सभी जवाब उस खिलौने के डेटाबेस में मौजूद रहते। इसे एक तरह का छोटे रोबोट की तर्ज पर देखा जा रहा था।

यह खिलौना बच्चों से बात कर सकती थी उनके साथ खेल सकती थी। यह खिलौना वह सब काम कर सकती थी जो बच्चें अपने दोस्तों के साथ करना पसंद करते हैं अर्थात खेलना कूदना, उनसे बातें करना।

उसी दिवस विक्रम की बातें अमेरिका के एक टॉय कंपनी से बातचीत हो रही थी। विक्रम ने अपनी कंपनी के इस खिलौने के अधिकार को अमेरिका कंपनी को ऑनलाइन बेच दिया। यह बात उसने साहिल को नहीं बताई थी। 

अगले दिन मीडिया साहिल और विक्रम से इस खिलौने के बारे में बात कर रहे होते हैं। यह फंक्शन में वह इस खिलौने की टेक्नोलॉजी को विस्तार रूप से समझा रहे होते हैं। इस इंटरव्यू और लॉन्च इवेंट का प्रकाशन पूरे विश्व भर में हो रहा होता है।

भारतीय समय अनुसार जब शाम का समय प्रगति पर था उसी वक्त अमेरिका से एक खबर आई जिसके तहत साहिल और विक्रम की कंपनी के इस खिलौने पर चोरी का आरोप लगा। खबर के मुताबिक वह खिलौना का पेटेंट अमेरिका की टॉय कंपनी को जारी हुआ है। 

इसका साहिल को काफी बुरा प्रभाव पड़ा और उसने सुसाइड कर लिया। इस खिलौने को बनाने में उसने काफी मेहनत करी थी। वह पेशे से इंजीनियर था लेकिन इस सदमे में वह नहीं रह पा रहा था। 

आज के वक्त

अब वह खिलौने की कंपनी के पूरी संपत्ति अकेले विक्रम की हो गई थी। साहिल को मरे हुए अब तीन साल हो चुके थे। विक्रम आर्थिक रूप से काफी मजबूत हो चुका था। उसकी शादी भी हो चुकी थी। साहिल के हिस्से का भी उसने भुगतान करने को मना कर दिया था। 

एक दिन जब वह रात के 9 बजे अपने आफिस से घर की ओर निकल रहा था तो उसे अपनी रॉयल्टी के कागज ढूंढने थे ताकि वह उन कागजात को अपने पास संभाल सके। इसी कागज को दिखाके के ही उसे अमेरिका की कंपनी ने रॉयल्टी देने का वायदा किया था।

वह कागजात ढूंढने लगा। आफिस से सभी कर्मचारी चले गए थे उसे वह कागजात ढूंढने में काफी समय लग रहा था। वह कभी कंप्यूटर के टेबल पर ढूंढता तो कभी कागजात सभी तहखाने में ढूंढता।

लेकिन उसे हर बार निराशा मिली। उसने कागजात को ढूंढने के लिए हर दिन अपने ऑफिस के कार्य के बाद प्रयत्न किया परन्तु हर बार की तरह उसे इस बार भी मायूसी का सामना करना पड़ा।

वह इसके बाद लगातार डिप्रेशन की स्थिति में ग्रस्त हो रहा था। अमेरिकन कंपनी अब उसके रॉयल्टी पर भी ब्रेक लगाने में सक्षम थी। यह उस कंपनी का नियम था कि जिसे भी वह रॉयल्टी देंगी उसे हर तीन साल बाद रिन्यू करवाना होगा जिसके लिए उसे अग्रीमेंट के कागजात दिखाने होंगे।

वह अब कागजात ढूंढते हुए हार जाता है उसे इस बात का डर रहता है अब उसे रॉयल्टी नहीं मिलेगी। उसकी कंपनी में बनने वाले खिलौने भी इतने नहीं बिक पाते थे कि अपने घर खर्च को संभाल सके।

उसने सोचा कि अब वह कंप्यूटर में सेव फाइल में से समझकर वैसी डॉल को बनाएगा ताकि उसकी कमाई हो जाए। तकरीबन दो से तीन महीने उसने घर में न जाने का फैसला किया उसने अपना फैसला अपनी पत्नी को बता दिया था।

इन तीन महीने में उसे अमेरिकी कंपनी से मैसेज आ गया था कि वह उसे अब रॉयल्टी नहीं दे पाएंगे। यह फैसला उसके लिए हैरान कर देने वाला नहीं था, क्योंकि इस निर्णय से वह पहले से ही वाकिफ था। अपनी कड़ी मेहनत के बाद उसे अपने कार्य पर सफलता मिली उसने वह खिलौना बना दिया। 

खिलौने में आधुनिक वक्त के मुताबिक कुछ नए तकनीक का भी इस्तेमाल किया गया था। अपने परीक्षण में सफल होने के बाद विक्रम बेहद खुश था। इतने महीने के मेहनत के बाद विक्रम अपने घर जा रहा था।

उसका बच्चा भी उसके इंतजार में राह देख रहा था। विक्रम अपने घर की ओर निकलते हुए विक्रम ने खुद से बनाया हुआ खिलौना अपने बच्चे के लिए ले जाना मुनासिब समझा। 

विक्रम ने सोचा कि अब उसकी जिंदगी बदल जाएगी वह फिर से खुशी भरा जीवन व्यतीत करने लग जाएगा। लेकिन उसे क्या मालूम था कि यह खिलौना उसका वर्तमान एक बुरे लम्हे का आगाज होगा। 

जैसे ही वह गाड़ी में उस खिलौने को लेकर बैठा, उसके साथ अजीब घटना घटित होने लगी। गाड़ी का पेट्रोल अचानक से पूरा खत्म हो गया। गाड़ी स्टार्ट भी नहीं हो पा रही थी। कार के गेट खुद ब खुद बंद हो गए। उसे घुटन महसूस हो रही थी।

खिलौने में से अजीब से हसने की ध्वनि आ रही थी। यह हसी की आवाज विक्रम के कानों में दर्द पैदा कर रहा था। वह बेहोश हो चुका था। जब उठा तो खुद को अपने घर के बाहर पाया। उसके रोंगटे खड़े हो गए। वह घबराया हुआ था।

वह डॉल लेकर जल्दी से अपने कमरे की ओर भागा। उसे ऐसे देखते हुए विक्रम की पत्नी डर गई थी और बच्चे ने हाथ में डॉल देखी तो वह भी अपने पापा के तरफ नन्हे कदमों से दौड़ा। विक्रम ने वह डॉल झट से अलमीरा में छुपा दिया और उसका ताला लगा कर चाबी अपने पास रख ली। 

उसने यह सब होने के बाद तुरंत कंपनी के मैनेजर को फ़ोन किया और उस खिलौने को बनाने से रोकने को कहा। 

अगले दिन वह अलमीरा में उस डॉल को निकाल कर समुद्र में डालने का सोचने लगा। लेकिन जैसे ही उसने अलमीरा खोला वह हैरान रह गया। अलमीरा में वह डॉल नहीं थी। वह चिंतित हो गया। वह जल्दी से तेज रफ्तार में भागा वह अपने बच्चे को ढूंढ रहा था।

उसे जो डर था वही हूआ। उसका बच्चा उसी डॉल के साथ खेल रहा था। विक्रम अपने बच्चे से डॉल खींचकर ले गया। वह डॉल उसके हाथ में आते ही वही अजीब हसी के साथ हसने लगा। “मेरे से पीछा नहीं छुड़ा पाएगा विक्रम, मेरी मेहनत को तुमने चंद पैसों के लिए बेच दिया।” यह आवाज किसी अन्य की नहीं बल्कि साहिल की थी। विक्रम काफी भयभीत हो चुका था, उसने वह डॉल समुद्र में फेंक दिया। लेकिन इसके बावजूद साहिल की आवाज सुनाई दे रही थी। यह आवाज उसे पागल कर दिया था।

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उम्मीद है यह Ghost Story in Hindi आपको कुछ सीख देने के काम आई होगी। लालच बुरी बात होती है। हमेशा लालच से बचें।

धन्यवाद।

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