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Top 10 Hindi Moral Stories – हर जीव का एक अलग ही महत्व होती है!

कहानियों का जन्म ठीक उसी वक्त हुआ था, जिस वक्त इस धरती की रचना हुई थी। इन प्रत्येक कहानियों में Hindi Moral Stories का स्थान बेहद प्रथम एवं इज्जत से लिया जाता है। इसी संदर्भ में इस पोस्ट में हजारों Hindi Moral Stories में से एक ऐसी कहानी का भेंट स्वरूप हमारे पाठकों को दिया जाएगा।

Hindi Moral Stories

इस कहानी में हमारे नन्हे शिशुओं के लिए कुछ सीख भी छिपी हुई होगी, जिसे पढ़कर वे अपने आने वाले पलों को एक स्वीकार रूप में ढाल सकते हैं। Hindi Moral Stories में यह कहानी एक भूमि से संबंधित व्यक्ति की है जिन्हें सरल भाषा में व्यक्ति किसान कहते हैं।

यह किसान है श्याम लाल। श्याम लाल परिश्रम करने में बेहद अग्रिम रहता है। श्याम लाल की परिश्रम देख उसपर ईश्वर की कृपा थी। ईश्वर ने उसे दो मटके सौंपे थे। हालांकि यह मटके कुछ खास या अलग नहीं थे परन्तु यह दोनों मटके आपस में मनुष्य के भांति अपने भाव प्रकट एवं बोल सकते थे। यह Hindi Moral Stories की कहानी इन दोनों मटकों के माध्यम से ही बताई गई है।

Hindi Moral Stories: मटका फूट पड़ा

श्याम लाल का जीवन बेहद चुनौती से भरपूर रहा। उसका बचपन पास के ही ग्रामीण क्षेत्र में गुजरा। परन्तु उस समय जात का बोल बाला काफी था। श्याम लाल नीच जाति से तालुक्कत रखता था। जिसके कारणवश श्याम लाल के गांव वालों ने उसे अपने गांव से बाहर निकाल दिया।

उसके माता पिता की उम्र के कारण मृत्यु हो चुकी थी। अब उसने अपना बसेरा गांव से दूर कर लिया। यह जगह गांव के भीतर नहीं गिना जाता था बल्कि यह एक बंजर जमीन थी। जहां फसल उगने की कोई उम्मीद न के बराबर थी। उसकी फसल जो कि उसके गांव वाले गृह के समीप थी।

वहां उसे कार्य करने की अनुमति मिल गई, परन्तु शर्त यह रखी गई, उसे खेती करने के लिए कर देना होगा अथवा अपने उगाई हुई फसल सस्ते दामों में हमे बेच देना होगा। श्याम लाल थोड़ा सहमा क्योंकि उसके पास अब जीवन व्यापन करने के लिए वह खेत ही था।

वह चाहता तो खेत को कुछ राशि में समर्पित करके भी अपने कुछ पल जी सकता था। परन्तु उस खेत में उसकी माँ और उसके पिता की यादें समाई हुई थी। वह सब्जी को बाजार से कम लागत के मूल्य में बेचने को तैयार हो गया। अब उसकी यह दिनचर्या ही हो गई।

जिसमें वह प्रातः जागकर अपने गांव में मेहनत मजदूरी करने आ जाता था। श्याम लाल की मेहनत देख अधिक्तर प्रवासी अचंभित रह जाते। इसके पीछे कारण था क्योंकि यह सभी को ज्ञात था कि श्याम लाल को इस खेत से ज्यादा आर्थिक सहायता नहीं मिल रही, फिर भी इसके बावजूद वे इतना परिश्रम कर रहा है। 

श्याम लाल को ईश्वर का बहुत सहारा रहता। उसने अपने छोटी सी कुटिया में अपने दो मटकों के अलावा एक छोटा मंदिर एवं एक छोटे से स्थान स्वंय के लिए रखता। वह हर शाम जब भी गांव से वापस लौट रहा होता वे ईश्वर को चढ़ाने हेतु गांव से फूल ले आता। 

आरंभ में तो उसे कोई नहीं टोकता परन्तु जब यह दृश्य गांव के प्रधान ने देखा तो वह आग बबूला हो गया वह शीघ्र ही श्याम लाल को धमकी देते हुए कहता है कि ” श्याम लाल, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई गांव के पुष्पों को अपने साथ ले जाने की। 

श्याम लाल :- “जी!, मैं तो इन्हें केवल ईश्वर को समर्पित करने के लिए ले जाता हूँ।”

प्रधान:- ” इस गांव में तुम्हारा मात्र अपने खेत में खेती करना है और किसी अन्य जीव वस्तु को छूकर उसे दूषित करना नहीं।”

श्याम लाल को यह बात आहत हुई। वह रुआँसा सा मुख लिए अपने कुटिया में पहुंच जाता है। 

समय काल अपने गति से बढ़ता रहता है। वह अपने साथ सवेरे उन दो मटकों को लेकर निकलता है पानी भरने के बाद वापस ले आता है। वह अपने बल का भरपूर इस्तेमाल करता है परन्तु हर बार वह लेकर तो दोनों मटके जाता है, लेकिन जल की बूंदे मात्र डेढ़ मटके जितने ही होती है।

इसका कारण होता है एक मटके का दूषित होना अर्थात एक मटके में छेद होता है। दोनों मटकों के वार्तालाप करने का माध्यम भी ऊंच नीच से भरपूर होता है। जो मटका बिल्कुल सही स्थिति में है वह अपनी प्रशंसा करता रहता है उसे अपने स्वयं पर एक रूप से घमंड होता है।

वह कहता है ” देख!, मैं कितना अच्छा हूँ कि मुझमें कितनी क्षमता है, मैं पूरा जल सही सलामत कुटिया तक ला देता हूँ,बिना एक बून्द बर्बाद करें, परन्तु तू कितना खराब है, श्याम लाल इतनी मेहनत करके हमें लेकर जाता है और फिर वापस आते हुए उसे पूरा मटका पानी भी नहीं मिलता। 

यह बात सुनकर फटे हुए मटके को शर्मिंदगी महसूस हुई। वह यह बात श्याम लाल को बताना चाहता था। परन्तु घबराहट में उसने न बताना बेहतर समझा। वह स्वयं के बलबूते पर जल को बचाने के लिए कार्य करने लगा। 

जब श्याम लाल सवेरे दोनों मटकों को भर के वापस ला रहा होता, तो फूटा हुआ मटका खुद को थोड़ा टेड़ा कर लेता ताकि बूंद घड़े में ही रहे। ऐसा उसने एक हफ्ते तक किया परन्तु हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी। 

एक दिन जब श्याम लाल जल से भर कर दोनों मटकों को लाया तो फिर फूटे हुए मटके में आधे जल की ही प्राप्ति हुई। इस पर थककर फूटे हुए मटके ने श्याम लाल को कहा “श्याम लाल, मैं आपसे क्षमा याचना करना चाहता हूँ, मैंने आपको बताया नहीं कि मैं एक जगह से फूटा हुआ हूँ, जिसके कारण आपके इतनी मेहनत विफल जाती है। 

श्याम लाल उदासी के समंदर में कूद गया उसे बेहद बुरा लगा, परन्तु अब वह क्या कर सकता था, उसके पास इतना पर्याप्त मात्रा में धन भी नहीं था कि वह एक मटका ले सके। उसे डेढ़ मटके जल से ही संतुष्ट होना था। 

उसी क्षण श्याम लाल के मस्तिष्क में एक युक्ति सूझी। वह जब अपनी जमीन में खेती करने गया तो उससे पहले वह गांव के प्रधान के पास पहुंचा और कहा कि “प्रधान जी!, आपसे एक गुहार है, महोदय आप जो मुझे मेरी खेती का मूल्य देते हैं उतने ही मूल्य का फूल के बीज देदेवें तो मेरे पर मेहरबानी होगी।”

प्रधान:- ” अवश्य!, दे सकते हैं किंतु अगर वह बीज तुमने अपने जमीन पर गाड़े तो उसमें उगे हुए फूल इस गांव के वासियों को ही समर्पित होंगे।”

श्याम लाल को तुरंत ही फूल के बीज मिल जाते हैं। श्याम लाल शाम को वापसी आते हुए अपने उस राह को थाम लेता हैं, जिसकी सहायता से वह कुएं में पानी भरने जाता था। उधर ही वह रास्ते में बीज गाड़ देता है। 

श्याम लाल अब सवेरे जल वापस लेकर जब आता है तब वह फूटा हुआ मटके को उस दिशा में कर देता है जहाँ उसने फूल के बीज डाले थे। ऐसा श्याम लाल हर दिवस करता है। अब वह प्रसन्न रहता है। उसकी प्रसन्नता देख दोनों मटके भी बेहद उल्लास से भरपूर हो जाते हैं।

फूटा हुआ मटका श्याम लाल से इस खुशियों का राज पूछता है तो श्याम लाल तेज गति से बाहर की ओर भागता है और तकरीबन पंद्रह मिनट के बाद वापस आता है। उसके हाथ में सुंदर पुष्प होते हैं भिन्न भिन्न रंग में। 

श्याम लाल :- यह है मेरी खुशी का कारण, मुझे तुम्हारे फूटे हुए का दुख हुआ, परन्तु उसके पश्चात मुझे ज्ञात हुआ कि विश्व मे हर शख्स, हर जीव जंतु में कुछ न कुछ कमी मौजूद हैं परन्तु इसके कारण हम उससे किनारा नहीं कर सकते।

जब तुम्हारे फूटे होने का मालूम हुआ तो मैंने गांव के प्रधान से फूल के बीज लेने का विचार किया। इन बीजों को मैंने कुएं वाले रास्ते के दोनों तरफ बिछा दिए। जिसके कारण जब भी हम आते तो तुम्हारे मटके में से निकलता हुआ जल उन बीजों को जल की पूर्ति करता। अर्थात इन फूलों को सींचता। 

आज तुम्हारे कारण मैं ईश्वर को सुंदर फूलों का अर्पण करने में सक्षम हूँ।”

Hindi Moral Stories: एक रुपये का ईश्वर

एक छोटा बालक पंसारी की दुकान पर जाता है और पंसारी को एक रुपये देकर कहता है “ सेठ जी क्या मुझे 1 रुपये में ईश्वर मिल जायेंगे”। पंसारी बच्चे की बात सुनकर क्रोधित हो जाता है ,उसे लगता है की बच्चा उससे मजाक कर रहा है।

पंसारी उसे एक रुपये थमा वहाँ से भगा देता है। बच्चा फिर दूसरे दुकान पर जाता है दूसरा दुकानदार भी बच्चे के साथ बुरा बर्ताव करता है और उसे वहाँ से भगा देता है।

बचा इसी तरह दो से तीन, तीन से चार करते करते चालीस दुकानदारों के पास जाता है ,कोई उसपर हंसता है तो कोई ऊपर से नीचे तक घूरता है तो कोई उसका मज़ाक बनाता , अंत में सभी उसे चलता करते है।

बच्चा पसीने से लथ-पथ होकर निराश होकर बैठ जाता है। बच्चे को सड़क किनारे एक छोटी सी दुकान दिखाई देती है ,जिसमें एक बुजुर्ग बैठा होता है।

“बच्चा वहाँ जाता है और बोलता है “ बाबा एक रुपये में ईश्वर मिलेगा क्या”? बाबा बच्चे की बात सुनकर मुसकुरा देते है और कहते है “हाँ बिलकुल मिलेगा परन्तु तुम ईश्वर का करोगे क्या”? लड़का कहता है “मेरी माँ बहुत बीमार है वो अस्पताल में भर्ती है ,डॉक्टर अंकल ने कहा है की मेरी माँ को सिर्फ ईश्वर ही बचा सकता है”।

बच्चे की बात सुनकर बुजुर्ग उससे एक रुपये ले लेता है और कहता है “तुम जाओ ईश्वर तुम्हारी माँ को जरूर बचा लेगा”।  अगली सुबह बच्चे की माँ को देखने बाहर से बड़े डॉक्टर आते है और उसका आपरेशन करते है। बच्चे की माँ ठीक हो जाती है।

जब डॉक्टर दवाइयों और आपरेशन का बिल बच्चे की माँ को देते है तो उसका होश ही उड़ जाता है क्योंकि बिल लाखों में होता है और कोई उसे चूका चुका होता है।

माँ को बड़ी हैरानी होती है की आखिर उसका इतना लंबा बिल चुकाया किसने? ? बिल के साथ एक ख़त होता है जिसमें लिखा होता है “शुक्र है उस नन्हे बच्चे का जो एक रूप में ईश्वर को ढूंढता हुआ मेरे पास आया, मैंने आपको नहीं बचाया है वो ईश्वर ही है जिसने आपकी मदद की है ,तो ईश्वर को आप धन्यवाद जरूर करना”।

असल में वो ख़त उसी बुजुर्ग बाबा ने लिखा होता है जो सारा बिल स्वयं भर के जाता है ।वो  नन्हे से बच्चे का ईश्वर के प्रति उसका भरोसा कायम रखना चाहते थे इसलिए उन्होंने अस्पताल का सारा बिल खुद अदा किया। 

निष्कर्ष- ईश्वर खुद धरती पर नहीं आ सकता था इसलिए उसने दुनिया में कई नेकदिल इंसान बनाए। वो नेकदिल कोई भी हो सकता है ,आप मैं या कोई और।

अगर बुजुर्ग चाहता तो दरों की तरह वो भी बच्चे को वहाँ से डांट कर भगा सकता था परन्तु उसने ईश्वर के प्रति उस बच्चे की आस्था का सम्मान किया और मानवता का नेक रूप प्रस्तुत किया वास्तव में ऐसे इंसान ही ईश्वर के बनाए फ़रिश्ते होते है जो धरती पर लोगों की मदद करने के लिए भेजे गए होते है। 

फूट  वीर ने बाल्टी को पकड़ा और जय ने पूरी जान लगा दी  अपने दोस्त को बचाने में |हालाँकि  जय की उम्र वीर की उम्र से 8 साल कम थी |

लेकिन जय के अन्दर इतनी ताकत कहा से आई की वो अपने से 5 साल बड़े दोस्त  को बाल्टी के साथ कुएं से खींच लिया ? क्योंकि जब भी इंसान के पास कोई मुश्किल आती है तो इंसान अपनी पूरी ताक़त लगा देता है उससे जितने के लिए

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है की संकट के समय हमें अपनी पूरी क्षमता का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि हम कोई भी मुसीबत का मुकाबला कर सके।

Hindi Moral Stories: हजारों मिल की यात्रा

 ये बात सर्व ज्ञात है की अपने बौद्ध जीवन के आरंभिक काल से ही गौतम बुद्ध अपने सबसे प्रिय शिष्य आनंद के साथ प्रवचन देने जाते थे। एक बार गौतम बुद्ध को प्रवचन देने किसी गाँव में जाना था उन्होंने आनंद को यात्रा की तैयारी करने के आदेश दिए।

बुद्ध और आनंद गाँव की यात्रा पर निकल पड़े। आनंद को बुद्ध के साथ साथ ऐसे गाँव में जाना था जिसका पता उसे नहीं था और न उसमें इतनी हिम्मत थी वो बुद्ध से ये सवाल पूछ सकें।

गाँव के लिए चलते चलते दोपहर हो गई परन्तु गाँव का कुछ अता पता नहीं था। कड़ी धूप थी और एक किसान अपने खेत में काम कर रहा था। आनंद ने बुद्ध से पूछा “ गुरुदेव चलते चलते इतना वक़्त गुजर गया पर अब तक हमें गाँव का कुछ अता पता नहीं चला क्यों न हम किसी से पूछ से”?

बुद्ध किसान के पास गए और उससे गाँव का पता पूछा, किसान के कहा “आप लोग बहुत करीब हो सिर्फ दो किलोमीटर और चलना है” इतना कह कर वो बुद्ध की तरफ देखकर मुसकुरा दिया उत्तर में बुद्ध भी मुसकुरा दिए।

आनंद को कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर दोनों एक दूसरे को देख कर हंसे क्यों ? बुद्ध और आनंद दो किलोमीटर और चले परन्तु गाँव नहीं आया। रास्ते में एक बुढ़िया लड़की काट कर जंगल से घर जा रही थी।

बुद्ध ने उससे भी गाँव का पता पूछा ,बुढ़िया ने कहा “ बस ज्यादा नहीं चलना है मुश्किल से दो किलोमीटर भी नहीं होगा और बुद्ध को देखकर वो मुसकुरा दी, बुद्ध भी प्रति उत्तर में मुसकुरा दिए। आनंद को कुछ समझ नहीं आ रहा था की चल क्या रहा है, वो पूछ सकता नहीं था ,क्योंकि बुद्ध से साफ़ हिदायत थी की फिजूल के सवाल नहीं पूछना है।  

दोनों दो किलोमीटर और चले फिर भी गाँव नहीं आया। आगे एक फल विक्रेता पेड़ की छाव में आम बेच रहा था। बुद्ध ने उससे भी ठीक वही सवाल किया।

आम विक्रेता ने कहा “महाराज आपका सफ़र खत्म होने वाला है बस आपको 1 मिल मुश्किल से और चलना होगा”। आनंद ये सुन कर थक चूका था दो किलोमीटर दो किलोमीटर फिर भी किसी तरह हिम्मत करके उसने दो किलोमीटर और चलने का निश्चय किया।

शाम हो चुकी थी परन्तु ये दो किलोमीटर का सिलसिला खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा था। दो किलोमीटर और चलने के पश्चात जब गाँव नहीं आया तो आनंद के सब्र का बांध टूट गया।

तेज धूप और गर्मी की वजह से वो काफी थक चूका था। क्रोध की मुद्रा में उसने अपना झोला पटकते हुए कहा “गुरुदेव माफ़ी चाहता हूँ परन्तु मैं अब और इंतज़ार नहीं कर सकता और न चल सकता हूँ, ये दो किलोमीटर है की खत्म ही नहीं हो रहा और न आप कुछ सही सही बता रहे है जिससे भी आप पूछते है वो दो किलोमीटर बोल कर मुसकुरा देता है।

आनंद क्रोध की मुद्रा में अपने सवालों के जवाब जानना चाह रहा था। आनंद का उतावलापन देख कर बुद्ध मुसकुरा दिए वो जानते थे की आनंद थक चूका है।

उन्होंने कहा “मैं जानता हूँ की गाँव अगले दो किलोमीटर बाद भी नहीं है ,मैं ये भी जानता था की गाँव हमारे यात्रा के स्थान से २० किलोमीटर दूर था परन्तु अगर मैं तुम्हें ये कहता की हमें 20 किलोमीटर चलना है तो हमने जो 6 किलोमीटर तय किया  है वो भी हम नहीं चल पाते।

वो लोग जो तुम्हें रास्ते में मिले थे वो झूठ नहीं बोल रहे थे बल्कि तुम्हारा मनोबल बढ़ा रहे थे। उन तीनों के कहने से हम दो दो किलोमीटर करके 6 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर चुके है।

उन्होंने तो हमें चलने के लिए प्रोत्साहित किया है। वो सभी जानते थे की अगले दो किलोमीटर बाद भी कोई गाँव नहीं है परन्तु हमें सफ़र की दूरी से थकावट न हो इसलिए सभी ने सिर्फ दो- दो किलोमीटर कहा।

असल में ये वही लोग है जो आपको आपकी मंजिल तक पहुँचाने में आपकी सहायता करते है तो इनका धन्यवाद करो। आनंद बुद्ध की सारी बात समझ चुका था की बुद्ध उसे क्या समझाना चाहते थे। झुककर उसने गुरु के चरण स्पर्श किए और रात वही रुकने के लिए प्रबंध करने चला गया।  

निष्कर्ष- हम सभी की जिंदगी में कुछ लोग ऐसे होते है जो हमारी असफलता के बाद भी हमसे कहते है की ‘बस थोड़ा और चलो’ ‘थोड़ा और करो’ असल में ये वो लोग होते है जो हमें हमारे अगले प्रयत्न के लिए प्रोत्साहित करते है। ये हमारे लिए सबसे बड़े हितकारी होते है तो अगली बार आपसे कोई यदि ये कहे की ‘बस थोड़ी दूर’ तो समझ जाइए की वो आपको आपकी मंजिल तक पहुँचने के लिए आपका मनोबल बढ़ा रहा रहा है।

Hindi Moral Stories: जैसी माटी वैसा भेष

 चार अंधे आदमी एक बार राजा के पास गए। राजा ने उन्हें एक हाथी भेंट किया और उन्हें यह बताने के लिए कहा कि उन्हें उपहार स्वरूप मिली चीज़ क्या है। पूंछ के पास खड़े अंधे आदमी ने उसे छुआ तो उसे पूंछ रस्सी की तरह लगी, उसने उसे रस्सी बताया।

पैर के पास खड़े आदमी को हाथी का पाँव किसी पेड़ के तने की तरह लगा उसने उसे पेड़ का तना बताया। ट्रंक के पास खड़े व्यक्ति ने मुलायम और लम्बा होने की वजह से ट्रंक को एक सांप माना, पेट के पास खड़े व्यक्ति को हाथी का पेट किसी मोटी दीवार की तरह लगा उसने उसे दीवार माना। अलग अलग मत होने की वजह से चारो में बहस छिड़ गई। 

संदेश 

नैतिकता ये है की जिंदगी के बारे में हर किसी की अपनी अपनी सोच होती है। जो जितना सोचता है ,या जितना ग्रहण करता है उसी के अनुरूप वो जिंदगी जीता है। जिंदगी पूरी तरह आपकी सोच पर निर्भर करती है।

किसी को जिंदगी की मुश्किलें एक सीख की तरह लगती है तो कोई पूरी उम्र मुश्किलों को कोसता रहता है। कोई मुसीबत को स्वाभाविक मानता है तो कोई इन्हें जीवन में कील की तरह लेता है।  

वास्तविकता सिर्फ इतनी है जो जिंदगी को जितना समझता है उसे जिंदगी के उतार चढ़ाव उसी अनुरूप दिखाई देते है, इसलिए अपनी सोच हमेशा सकारात्मक रखे।      

Hindi Moral Stories: सामर्थ्य से शक्ति 

 भगवान राम लंका पर हमला करने से पहले एक पुल का निर्माण कर रहे थे। एक गिलहरी समुद्र के किनारे से रेत के छोटे छोटे कण अपने शरीर पर लाती और जहाँ पुल की आधार शिला रखी जा रही थी वहाँ डाल देती।

बंदरों, संतो और राम के अनुयायियों ने भगवान राम से गिलहरी वाली घटना का वर्णन किया। भगवान राम गिलहरी के पास गए और उसके ऐसा करने का कारण पूछा।

गिलहरी ने कहा “ वो लंका पर विजय की खातिर ऐसा कर रही है”। प्रभु ने कहा, “ये रेत के छोटे छोटे कण भला मेरी क्या मदद करेंगे”।गिलहरी ने उत्तर दिया, “मैं आपसे क्षमा चाहती हूँ, प्रभु, रेत के दाने पर्याप्त या कम हैं, मुझे इसकी थाह नहीं है , लेकिन मुझे पता है कि मैं अपने सभी स्तरों को बेहतर बनाने के लिए अपने स्तर पर योगदान देने की कोशिश कर रही हूँ।”

भगवान राम अभिभूत हो गए। एक गिलहरी के मुख से उसके जीवन का सामर्थ्य और समर्पण के भाव ने भगवान राम को करुणा से परिपूर्ण कर दिया। राम ने प्यार से उसकी पीठ थपथपाई।

ऐसी मान्यता है की गिलहरी के शरीर पर जो धारियां होती है वो भगवान राम की उंगलियों के निशान हैं। संदेश  इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आपका कार्य बड़ा है या छोटा। मायना ये  रखता है कि आप उसे समर्पण और उत्साह के साथ करते हैं या नहीं।

अगर आप उत्सुक हैं, आपके उत्साह है और आप उत्साही हैं तो आपको सफल होने से कोई नहीं रोक सकता। उत्साही लोग बचपन से बुढ़ापे तक सकारात्मक प्रयास करते हैं और सराहनीय स्थान हासिल करते हैं।

Hindi Moral Stories: प्यार की जीत

ये कहानी है उस शख्स की जिसने प्यार जैसी पवित्र चीज़ के मायने को अपनी चाहत, अपने बलिदान से और पवित्र बना दिया। ये कहानी उन लोगों को लिए भी है जिन्हें प्यार पर यकीन नहीं होता और जिनके लिए भावनाएँ किसी कागज़ के टुकड़े की तरह होती है।

यकीनन ये कहानी हर उस शख्स का विश्वास जीत लेगी जिसका भरोसा प्यार से उठा चुका है। एक व्यक्ति जिसका टूर एंड ट्रेवल्स का कारोबार होता है लोगो को सस्ती दरों पर पुरे भारत की यात्रा कराता है।

वो अपने शहर का एक नामी टूर एंड ट्रेवल बिजनेसमैंन होता है। एक बार एक महिला उसके पास आती है और बताती है की वो और उसके दोस्तों का एक समूह चार धाम की यात्रा पर जाना चाहता है। महिला व्यक्ति से टिकटो की व्यवस्था करने को कहती है।

व्यक्ति राजी हो जाता है। घर जाकर टूर एंड ट्रेवल एजेंसी का मालिक अपनी बीवी से कहता है की एक समूह चार धाम की यात्रा पर जा रहा है क्यों न हम भी चले। बीवी मान जाती है , व्यक्ति अपनी पत्नी और 30 अन्य सदस्यों के साथ चार धाम की यात्रा पर निकल पड़ता है।

यात्रा शुरू होती है बद्रीनाथ से। दिन 16 जून वर्ष 2013 बदरीनाथ में भयंकर तूफ़ान और बाढ़ आ जाती है और सबकुछ बहा कर ले जाती है । उस व्यक्ति की पत्नी उसी तूफ़ान में लापता हो जाती है। हजारों लोग मारे जाते है  ,कई डूब जाते है  ,कई लापता हो जाते है।

हर तरफ चीख पुकार की आवाज़े गूंज रही होती है ,जिसे सुनने वाला कोई नहीं होता है। व्यक्ति एकदम पागल सा हो जाता है । पुरे बदरीनाथ में वो महीनों तक अपनी पत्नी की फोटो दिखा कर सबसे पूछता रहता है परन्तु उसकी पत्नी की कोई खबर नहीं मिलती।

सरकार से तो उसे कोई उम्मीद थी नहीं इसलिए वो अपने स्तर पर ही खोजबीन को जारी रखता है। वो अपनी सारी जमीन जायदाद को बेच देता है  और एक अस्थाई तंबू लगा कर वही रहने लगता है।

उसके मन में एक विश्वास होता है की उसकी पत्नी जिंदा होगी। वो  उसे अकेला छोड़ कर नहीं जा सकती। दिन भर वो उसकी खोजबिन करता और रात भर उसकी यादों से लड़ता रहता।

ईश्वर से दुआ करता ,रोता आंसू बहाता और फिर चुप हो जाता पर उम्मीद नहीं छोड़ता। महीनों बीत गए पर कुछ मालूम न चला। घर वालों ने उसे बहुत समझाया परन्तु वो न माना। उसने अपनी पत्नी के प्रति अपने अटूट प्रेम को कमजोर नहीं पड़ने दिया।

घर वालो ने तो उसे पागल घोषित कर दिया परन्तु उसने उसे ढूँढना नहीं छोड़ा।  कुछ महीने बाद सरकार आपदा में मरने वालो की लिस्ट निकालती है जिसमे उसकी पत्नी का भी नाम होता है।

सरकार उसे मुआव्जा देती है पर वो उसे काबुल नहीं करता। उसका मानना था की उसकी पत्नी जिंदा है तो वो मुआव्जा क्यों ले। काफी दिन बीत गए पर व्यक्ति उत्तराखंड नहीं छोड़ता वो वही बस जाता है।

दिन 21 जनवरी वर्ष 2015 ,शाम का वक़्त उसके फ़ोन पर एक कॉल आती है, कॉल करने वाला व्यक्ति बताता है की उसने एक महिला को देखा है जो बिलकुल उसकी पत्नी की तरह दिखती है, उसकी मानसिक हालत ठीक नहीं लगती।

वो कई दिनों से सड़क पर यहाँ वहाँ घूम रही है। व्यक्ति बिना वक़्त गवाए वहाँ पहुँचता है  ,जब वो उस महिला को देखता है खुद को रोक नहीं पाता और उसे गले लगा लेता है। वो वाकई में उसकी पत्नी होती है।

व्यक्ति जी भर के रोता है, ईश्वर का धन्यवाद देता है, उसे इस बात का दुःख नहीं होता की उसकी पत्नी किस अवस्था में होती है बल्कि वो इस बात से खुश होता है की उसने उसे दुबारा पा लिया था ,वो दुबारा उसके पास वापस आ गई थी।  

ये कहानी कोई काल्पनिक कहानी नहीं बल्कि राजस्थान के धीरेन्द्र और उनकी पत्नी लीलावती (परिवर्तित नाम) की है। यही वो जोड़े है जो बदरीनाथ गए और तूफ़ान में बिछड़ गए।

उसके पति का प्रेम ही था जिसने उसकी पत्नी को 2 साल तक अनजान जगह और अनजान लोगो के बीच उसे जिंदा रखा था। प्रेम में वाकई बहुत ताकत होती है ये वही महसूस कर सकता है जिसने कभी सच्चा प्रेम किया हो।  

Hindi Moral Stories: बदसूरत राजा

 बहुत समय पहले की बात है एक नगर में बड़ा ही दयालु राजा हुआ करता था। राजा अपनी प्रजा का पूरा ख्याल रखता था। उनकी सारी जरूरतें और उनके सूख दुःख में हमेशा उनका साथ देता था।

राजा सभी की ख़ुशी खा ख्याल रखता परन्तु  अन्दर से वो खुद बहुत दुखी रहता, उसकी वजह थी उसकी एक आँख और एक टांग का न होना। एक दिन राजा अपने महल के संग्रहालय में अपने पूर्वजों की फोटो देख रहा था।

वो सोच रहा था की उसके दादा, पड़दादा और उसके पूर्वज कितने बहादुर हुआ करते थे। महल की दीवारों पर पीड़ी दर पीड़ी की फोटो लगी हुई थी। राजा सभी की फोटो देखते हुए आगे बढ़ रहा था अंत में उसे एक खाली फ्रेम दिखा जिसे देखकर  वो दुखी हो गया।

उसने सोचा की अगली बारी उसकी है, वो खाली फ्रेम भविष्य में होने वाली उसकी मौत की याद दिला रहा था। राजा ने सोचा की सभी की फोटो एक से बढ़कर एक है। सब फोटो में बहादुर और शूरवीर दिख रहे है।

क्यों न मैं जीते जी अपनी एक सुंदर सी फोटो बनवा लूँ क्योंकि अगर मैं मर गया तो बदसूरत सी फोटो इस फ्रेम में लगेगी जो मैं बिलकुल नहीं चाहता। राजा ने नगर में घोषणा करवा दी की जो उसकी सबसे सुंदर फोटो बनाएगा उसे बहुत सारा इनाम दिया जाएगा।

नगर के नामी चित्रकारों तक ये बात पहुंची तो वो खुश हो गए परन्तु दूसरे ही पल वो मायूस भी हो गए। उन्हें लगा की भला वो राजा की क्या क्या खाक सुंदर तस्वीर बनायेंगे न तो उसकी एक आँख है और न ही एक पैर, फिर भला कोई कैसे उसकी सुंदर तस्वीर बना सकता है और अगर तस्वीर अच्छी नहीं बनी तो राजा तो सूली पर ही लटका देगा।

इन्ही सब बातों को ध्यान में रखते हुए किसी ही चित्रकार ने राजा की तस्वीर बनाने की हिम्मत नहीं दिखाई। इसी बीच राजा के दरबार में एक 16 साल का लड़का आया और उसने राजा की पेटिंग बनाने के का प्रस्ताव रखा।

राजा को पहले तो संशय हुआ की ये कर पायेगा या नहीं पर उन्होंने उसे एक मौका देने का फैसला किया। लड़के ने राजा की पेंटिंग बना कर तैयार कर दी। वो दिन आ गया जब लड़का राजा को पेंटिंग सौपने वाला था।

राज दरबार पुरा भरा हुआ था ,सभी लोग बड़ी उत्सुकता से लड़के के आने का इंतजार कर रहे थे। जैसे ही लड़के ने पेंटिंग राजा को दिखाई ,राजा की आँखों में चमक आ गई ,राजा उस पेंटिंग को देखता ही रह गया।

राजा ने उस पेंटिंग की खूब तारीफ़ की और लड़के की कला और दिमाग को दाद दिया। लड़के को उसकी बहादुरी ,निडरता और कला के लिए खूब सारा ईनाम दिया गया।

सभी चित्रकार और दरबारी बड़े हैरान थे की आखिर पेटिंग में उसने ऐसा क्या बना दिया की राजा इतना प्रसन्न हो गया। जब चित्रकारों ने उस पेंटिंग को देखा तो उनकी भी आँखे चमक गई।

लड़के ने राजा को एक घोड़े पर दिखाया हुआ था , घोड़े का वो हिस्सा आगे की तरफ था जिधर राजा की एक टांग थी ,राजा के हाथ में तीर और कमान था, वो तीरंदाजी की मुद्रा में थे। राज जिस आँख से अँधा था उसे बंद दिखाया गया था।

जैसे एक तीरंदाज़ निशाना लगाते वक़्त एक आंख बंद कर लेता है ठीक वैसे ही राजा को वैसे दिखाया गया था। राजा पेंटिंग में एक कुशल और बहादुर तीरंदाज़ की भूमिका में था। सभी चित्रकार लड़के की बुद्धिमता ,उसके साहस और उसके ज्ञान की भूरी भूरी प्रशंसा कर रहे थे।  

निष्कर्ष- जिस काम को बड़े बड़े चित्रकार एक मुसीबत की तरह ले रहे थे उसे लड़के ने अवसर में बदल दिया। हमारी जिंदगी भी कुछ इस तरह ही होती है वो काम जो कोई नहीं कर सकता अगर उसे हम खुद के लिए अवसर में बदल दे तो वो ही हमारे लिए ईश्वर का वरदान बन जाता है।

Short moral stories in Hindi: ईश्वर की लीला

एक व्यक्ति अपनी पत्नी और बेटी के साथ रहता था। अपने जीवन से वो बड़ा परेशान था क्योंकि उसके पास जीविका का कोई ऐसा माध्यम न था जिससे वो अपना और अपने परिवार का पेट पाल सके।

वो ईश्वर से रोज़ दुआ करता ,खूब पूजा पाठ करता और उनसे कहता की वो उसकी नौकरी की व्यवस्था कर दे, थोड़े से मेहरबान हो जाए। उसकी छोटी सी बच्ची भी उसके साथ दुआ करती। दिन यूँ ही बीत रहे थे परन्तु कोई समाधान नहीं निकल रहा था।

एक दिन उसकी बच्ची ने उससे आकर पूछा “पापा मेरी क्लास के सभी बच्चे हंसी ख़ुशी रहते है, सभी के मम्मी पापा के पास नौकरी है, घर है , सूख शांति है हमारे घर में आखिर सब अच्छा कब होगा”? बच्ची की बात सुनकर व्यक्ति उसे घर से बाहर ले गया और घर के सामने सीना तान खड़े पहाड़ों को दिखाते हुए बोला “

वो पहाड़ देख रही हो ,वहाँ भगवान जी रहते है ,तुम उनसे दुआ करो की वो सब कुछ ठीक कर दे अगर तुम सच्चे दिल से दुआ करोगी तो वो जरूर सुनेंगे”। बच्ची छोटी थी  उम्र के हिसाब से वो सच मान गयी की उन पहाड़ों में भगवान रहते है।

वो रोज़ दुआ करती ,उसकी दुआ के फलस्वरूप व्यक्ति की सेना में नौकरी लग गई। सब कुछ ठीक हो गया, सब हँसी ख़ुशी रहने लगे। कुछ ही दिन बीते होंगे की पड़ोसी देश की सेना ने उसके देश पर हमला कर दिया। न चाहते हुए भी उसके देश को युद्ध में भाग लेना पड़े।

व्यक्ति को युद्ध के लिए जाना था पूरा घर चिंतित था ,युद्ध ताकतवर देश से था इसलिए सब डरे हुए थे की ना जाने क्या होगा? खास कर उस आदमी की वो छोटी बच्ची।

बच्ची ने अपने पापा से कहा “ पापा न जाने मैंने आपके लिए ऐसी जॉब क्यों मांगी इससे तो अच्छा होता की आप यूँ ही रहते ये कहते कहते वो रो पड़ी”। व्यक्ति ने उसे चुप कराया।

जब वो घर से जाने लगा तो लड़की ने उसे एक ख़त दिया और बड़ी मासूमियत से कहा “पापा आप उन पहाड़ों से होकर ही जायेंगे न मेरा ये चिट्ठी भगवान जी को दे दीजियेगा”। व्यक्ति जल्दी में था उसने वो चिट्ठी रखी और चल दिया।

जब वो पहाड़ से गुजर रहा था उसे अपने देश का आखिरी पोस्ट ऑफिस मिला उसके आगे उसके देश की सीमा खत्म हो रही थी ,उसे नहीं मालूम था की वो वापस लौट पायेगा या नहीं इसलिए उसने अपनी बच्ची का भ्रम दूर करने कल लिए उस चिट्ठी पर लिख दिया “ मेरी प्यारी बेटी, मुझे माफ़ करना मैंने तुमसे झूठ बोला यहाँ कोई भगवान नहीं रहते, बहुत सारा प्यार मेरी बेटी को” इतना लिख कर उसने चिट्ठी बाक्स में डाल दी। दोनों देशों के बीच भीषण युद्ध छिड़ गया।

जिस टुकड़ी में वो गया था वो उसके सभी जवान धीरे धीरे करके मारे गए। अगले दिन अख़बार में खबर छपी की जो टुकड़ी यहाँ से युद्ध के लिए गई थी उसके सभी जवान मारे गए।     

सभी को खबर हो गयी ,व्यक्ति की बीवी को भी पता लग गया की उसका पति मारा गया। परन्तु उसमें इतनी हिम्मत न थी की वो  बच्ची को  उसके पिता की मौत की खबर सुना पाए ।

एक दिन दरवाजे की घंटी बजती है ,जैसे ही छोटी बच्ची दरवाजा खोलती है एक फटे कपड़ों में अर्ध नग्न व्यक्ति उसके सामने खड़ा होता है असल में वो उसके पापा थे ,वो दौड़ कर उनके गले लग जाती है।

व्यक्ति अपनी बीवी को बताता है की किस तरह दुश्मन देश की सेना ने उसे बंदी बना लिया और खूब मारा पिटा। किसी तरह वो जान बचा कर भाग कर यहाँ तक आया है।

वो ये सब बता ही रहा होता है इतने में डाकिया चिट्ठी लेकर आता है , ये वही चिट्टी होती है जो वो अपनी बच्ची को भेजने के लिए पहाड़ के आखिरी पोस्ट ऑफिस में छोड़ता है परन्तु वो अब तक नहीं पहुंची होती है। जैसे ही वो चिट्ठी खोलता है उसकी आंखें नाम हो जाती है। छोटी बच्ची ने भगवान के नाम वो चिट्ठी लिखी होती है।

चिट्ठी की शुरुवात कुछ इस तरह होती है “ भगवान जी मेरे पापा मुझसे दूर जा रहे है , वो हमेशा कहते है की भगवान् से सच्चे दिल से जो माँगा वो मिलता है, मैं चाहती हूँ आप उन्हें जल्दी से मेरे पास भेज दे, आप उन्हें मेरे पास भेजेंगे न”?

इतनी कोमल और मार्मिक दुआ भला भगवन कैसे न सुनता, शायद उस बच्ची की दुआ ही थी जो पकड़े जाने के बाद भी वो आज जिंदा था जबकि उसके अन्य साथी मारे जा चुके थे। 

निष्कर्ष- आस्था एक ऐसा शब्द है जो कठिन से कठिन कार्य को आसान बना देता है। आस्था किसी वस्तु ,ईश्वर, या किसी भी चीज़ में हो सकती है ,अगर वो सच्ची है तो उसे पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता फिर चाहे आपके जीवन में कितनी भी मुश्किलें आ जाए।

Hindi moral story: ईश्वर का लीला

एक व्यक्ति अपनी नौकरी से बड़ा परेशान होता है , काम का अत्यधिक दबाव, बॉस की रोज़ रोज की चीक चीक और ऑफिस वालों के ताने से वो तंग आ चूका होता है।

उसे समझ नहीं आता की क्या किया जाए ,नौकरी छोड़ दिया जाए या फिर सबसे लड़ा जाए। इन्हीं उलझनों के बीच रविवार के दिन वो ऑफिस का काम कर रहा होता है इतने में उसकी 5 साल की बेटी हाथों में नोटबुक लिए उसके पास आती है।

वो काम में इतना मशगूल होता है की उसे बेटी के आने की खबर तक नहीं होती। बेटी आकर उससे कहती है “पापा क्या आप मेरा होम वर्क करवा देंगे”? दो तीन बार बोलने के बाद भी वो नहीं सुनता तो उसकी बेटी दुबारा वही बात जोर से बोलती है।

बेटी के तेज आवाज़ में बोलने और काम के दबाव की वजह से वो क्रोधित हो जाता है और उसे डांट कर वहाँ से भगा देता है। वो एक बार देखता तक नहीं की उसकी बेटी आखिर कौन सा काम लेकर आई है ? उसकी बेटी रोती हुई वहाँ से चली जाती है।    

व्यक्ति काम खत्म कर जब सुकून कि सांस लेने बैठता है तब उसे ख्याल आता है उसने क्या कर दिया। उसने तो एक नन्ही सी परी को नाराज़ कर दिया जिसे वो इतना प्यार करता है।

उसे मनाने की खातिर जब वो उसके कमरे में पहुँचता है वो सो चुकी होती है। सोती हुई मुद्रा में नोटबुक उसके सिर के ऊपर रखी हुई होती है। वो सोचता है की क्यों न एक बार देखा जाए की आखिर उसकी बेटी नोटबुक में कौन सा काम लेकर उसके पास आई थी।

जैसे ही वो नोटबुक में लिखे शब्द पढ़ता है उसकी आँखों से झर झर आंसू बहने लगते है। लड़की के स्कूल से काम मिला होता है की ईश्वर का धन्यवाद करने हुए कुछ पंक्तियाँ लिखो।      

उसने कुछ इस तरह से ईश्वर के प्रति अपने शब्द लिखे होते है “ थैंक यू गॉड की आपने रात बनाई , अगर आप रात न बनाते तो मेरे पापा घर कभी न आते और मैं उनसे रोज़ न मिल पाती”। 

थैंक यू गॉड की आपने अलार्म घड़ी बनाई जिसके बजते ही सुबह उठाना सबसे थकाऊँ लगता है पर ये अगर न होती तो मैं कभी अपने स्कूल समय पर न पहुँच पाती”।  

थैंक यू गॉड की आपने गर्मी का मौसम बनाया ,क्योंकि अगर आप ये न बनाते तो मुझे स्कूल से गर्मी की छुट्टियाँ कभी न मिलती और मैं नानी के घर कभी न जा पाती” । और अंत में जो लिखा होता है वो उस व्यक्ति को अन्दर से हिला कर रख देता है “ थैंक यू गॉड की आपने मुझे दुनिया का सबसे अच्छा पापा दिया जो शुरू में तो गुस्सा होते है पर जैसे ही उन्हें एहसास होता है वो मनाने चले आते है, फिर मुझे खूब सारी चोकलेट और आइसक्रीम दिलाते है”।  

व्यक्ति उन कोमल मन से लिखे शब्दों को पढ़कर सन्न रह गया। उसकी बेटी ने भगवान को इतने छोटी छोटी छोटी बातो के लिए धन्यवाद दिया था जिसका किसी के जीवन में कोई मोल नहीं होता।

उसने सोचा मेरे पास तो सबकुछ है, अपना घर है ,बेसक मैं किस्तों में भर रहा हूँ पर घर तो मेरा ही है , मेरा परिवार है, किसी के पास तो खुद का परिवार भी नहीं है, एक बहुत बिजी रखने वाली जॉब है ,काम है तभी तो व्यस्त हूँ अगर न होता तो मैं तो खाली बैठा होता।

उसे एक एक करके सभी चीजों का एहसास हो रहा था। उसने अपनी बेटी को प्यार भरी नजरों से देखा और निर्णय लिया की आज के बाद वो किसी भी कार्य को बोझ समझ कर नहीं करेगा साथ ही उसने ईश्वर को उन सब चीजों के लिए शुक्रिया अदा किया जो  ईश्वर ने उसको दिया था।  

निष्कर्ष– जिंदगी में पूरी उम्र हम कमियों का रोना रोते रहते है की उसके पास ये है मेरे पास ये नहीं , वो इतना बड़ा है मैं इतना छोटा हूँ, वो सभी चीजे जो हमारे पास है हो सकता है कइयों के पास वो भी न हो परन्तु हम कभी उन चीजों के लिए ईश्वर का धन्यवाद नहीं करते और न आभार प्रकट करते है। जिंदगी बेहद खूबसूरत है अगर हम उन चीजों की क़दर करे जो हमारे पास है।

Hindi story with moral: 3 फिट की मौत

संयुक्त राज्य अमेरिका के न्यूयार्क में एक विवाहित जोड़ा रहता था। पति पत्नी आपस में हमेशा लड़ते रहते थे। पत्नी अपने पति को छोड़ना चाहती थी क्योंकि पति की आमदनी से उसकी जरूरतें पूरी नहीं हो पा रही थी।

रोज़ आये दिन किसी न किसी बात का बहाना बना कर वो अपने पति से लड़ती रहती थी। एक दिन तय आकर दोनों के तलाक लेने का फैसला किया। पति को तलाक के रूप में एक अच्छी खासी रकम चुकानी थी।

पत्नी से तलाक के चलते उस आदमी को अपनी पूरी दौलत पत्नी को सौंपनी पड़ा। पति अपना सब कुछ हार बैठा था ,रुपया पैसा, घर ,पत्नी सब कुछ। उसे समझ नहीं आ रहा था की क्या किया जाए ,कहा से शुरू किया जाए।

उसकी जेब में मात्र 80 डॉलर बमुश्किल से बचे थे। उसने सोचा बर्बाद तो मैं हो ही चुका हूँ क्यों न इन 80 डॉलर से अपनी जिंदगी की आखिरी ख़ुशी जी ली जाए ,थोड़ा मौज मस्ती कर ली जाए। यही सोच कर वो नजदीक के एक बार में गया।

वो जैसे ही पीने के लिए बैठा ही था उसकी निगाह पास में पड़े एक अख़बार के विज्ञापन पर पड़ी। विज्ञापन में लिखा था की सरकार पास के ही एक सरकारी सोने की खदान की नीलामी करने जा रही है ,इच्छित व्यक्ति नीलामी में भाग ले सकता है।

उसने घड़ी पर नज़र दौड़ाई कुछ ही देर में नीलमी शुरू होने वाली थी। उसने सोचा अगर किस्मत में मौज लिखी होगी तो वो वहाँ से भी खाली हाथ लौट कर आ जाऊंगा क्यों न एक बार चल कर देखा जाए क्या पता उसके हाथ कुछ लग जाए।

इसी सोच के साथ वो नीलामी वाली जगह पर पहुंचा। किस्मत देखिये बोली 80 डॉलर पर आकर रुकी, कीमत के इतने कम होने का कारण उसे तब पता चला जब वो उसका मालिक बन चुका था। 

असल में सरकार उस खदान का दोहन कर चुकी थी ,अब उसमें कुछ बचा न था। व्यक्ति सर पिट कर रह गया। उसके 80 डॉलर जा चुके थे।

वो बैठ कर सोच ही रहा था की इतने में खदान में काम करने वाले मजदूर आये और बोले “ हुजूर क्या करना है ,खुदाई करें या घर जाए हमें आज के खुदाई के पैसे मिल चुके है अगर आप कहे तो हम खुदाई करे क्योंकि आप मालिक है जैसा आप कहेंगे हम करेंगे”।

भारी मन से उस व्यक्ति ने कहा “ठीक है आप लोग खुदाई करें, कुछ न करने से अच्छा है की जो पैसा मिला है उतना काम आप लोग करके जाए”।  मजदूरों ने खुदाई शुरू किया ,खोदते खोदते शाम होने को थी, परन्तु कुछ न निकला।

वो बैठ कर अपने आगे के भविष्य के बारे में सोच ही था की एक मजदूर भागता हुआ आया और बोला “साहब वहाँ कुछ मिला है एक बार चल कर देखे आप”।

आदमी ने जा कर देखा था उसके होश का ठिकाना न रहा, असल में वो सोने का पत्थर था, हाँ विशाल सोने का पत्थर। वो ख़ुशी के मारे चिल्लाने लगा ,उसके आँखों से ख़ुशी के आंसू बह रहे थे, खबर देने वाले मजदूर को उसने गोद में उठा लिया और जोर जोर से चिल्लाने लगा। उसने भगवान का शुक्रिया अदा किया और उस पत्थर को चूम लिया।

उस व्यक्ति की किस्मत बदल चुकी थी ,देखते ही देखते वो बहुत अमीर हो गया ,गाड़ी ,बंगला घर सब कुछ उसने खरीद लिया था। एक वक्त ऐसा भी आया जब वो न्यूयार्क का सबसे अमीर आदमी बन गया।  

निष्कर्ष- अपने हिस्से का परिश्रम करते रहिये ,कब कहाँ ,और कैसे आपकी किस्मत बदल जायेगी आपको भी पता नहीं चलेगा। शास्त्रों में लिखा है कर्म करना हमारे हाथ में है परन्तु फल पर हमारा नियंत्रण नहीं है इसलिए कर्म कीजिये फल तो ऊपर वाला दे ही देगा।

Moral stories for childrens in Hindi: विश्वास का फल

एक बार एक मदारी किसी बाज़ार में अपना खेल दिखा रहा था। उसने दो खम्भों के बीच एक पतली सी रस्सी बाँधी और उसे पार करने के लिए खम्भे पर चढ़ गया। मदारी की गोद में दूध पिता उसका बच्चा भी था।

मदारी की ये एक तरकीब थी जिससे वो लोगों का ध्यान अपनी और खिंच पाए । जैसे ही बच्चे को लेकर वो रस्सी पर चढ़ा लोगों की भीड़ बढ़ने लगी।

सभी इसी कौतूहल में थे की क्या मदारी बच्चे के साथ रस्सी पार कर पायेगा? मदारी धीरे धीरे रस्सी पार कर रहा था। लोगों की भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। अब वो रस्सी के बीच में था यानी आधी रस्सी पार कर चुका था।

सभी दर्शक दांतों तले उँगली दबाये खड़े थे की अब क्या होगा? अंततः मदारी ने रस्सी पार कर ली। दर्शकों ने तालियों से मदारी का स्वागत किया। मदारी नीचे उतरा और उसने सभी का शुक्रिया हुए भीड़ से पूछा “किस किस को लगता है की मैं ये दुबारा कर सकता हूँ? पूरी भीड़ ने एक स्वर में ‘हाँ’ बोलते हुए हाथ उठाया।

मदारी ने दुबारा पूछा “एक बार फिर बताइये किस किस को लगता है मैं ये दुबारा कर सकता हूँ” ,सभी ने “हाँ” में हाथ उठाया। मदारी ने भीड़ में से किसी के बच्चे को अपने गोद में उठाया और कहा “अब किस किस  लगता है की मैं ये कर सकता हूँ” सभी ने हाँ कहा सिवाए उसके जिसका बच्चा उसने लिया था।

मदारी ने फिर कहा “मान लीजिये की मेरी गोद में आपका बच्चा होता तो किस किस को लगता की मैं ये कर सकता था” पूरी भीड़ एकदम खामोश रही ,कोई कुछ न बोला, सभी एक दूसरे का मुंह देख रहे थे।

मदारी ने बच्चे को रखते हुए कहा “यही जिंदगी है जब बच्चा मेरा था ,खतरा मुझ पर था आपने यकीन किया की मैं कर लूँगा परन्तु जब बात आप पर आई यानी बच्चा आपका था तो आपको मुझ पर यकीन ही नहीं हुआ की मैं ये कर पाऊँगा”।

हम भी जिंदगी में लोगों के साथ ऐसे ही खेलते है , जब तक हमारी कोई चीज़ दांव पर नहीं लगी होती हम लोगों पर आंख मूंद कर यकीन करते है परन्तु जैसे ही हमारा कोई हित उनके साथ जुड़ता है हम सावधान हो जाते है ,थोड़ी देर पहले जिसपर हमें खुद से ज्यादा यकीन होता है उस पर हम संशय की निगाह से देखने लगते है।  

यदि आपको किसी पर यकीन है या विश्वास है की वो कोई कार्य कर लेगा या सफल हो जाएगा तो उससे क्या फर्क पड़ता है की उसमें आपका हित है या उस व्यक्ति का वो भी तो इंसान है उसके भी तो हित है फिर ये दो मुखौटे क्यों?मदारी की बात सुनकर पूरी भीड़ चुप थी ,उसकी बातों का किसी के पास कोई जवाब नहीं था।

सच है दोस्तों यदि आपका विश्वास और यकीन किसी में है तो उसे हर परिस्थिति में रखे वो यकीन और विश्वास ही क्या जो हालात के साथ बदल जाए। वैसे भी ऐसे इनसान को दुनिया मौकापरस्त कहती है। 

Hindi Moral Stories: साहसी दोस्त

एक समय की बात है एक गाँव में दो गहरे दोस्त रहते थे। एक का नाम जय था और दूसरे का नाम था वीरू । जय बहुत ही भोला था परन्तु वीरू शरारती था | दोनों एक छोटे से गाँव में रहते थे।

जय की उम्र 8 साल थी और वीरू की उम्र 11 साल।एक दिन दोनों दोस्त खेलते खेलते गाँव से काफी दूर एक जंगल में चले गए और रास्ता भटक गए।

जब उन्हें महसूस हुआ की वो रास्ता भटक गए है तो वो काफी डर गए और दोनों रोने,सोचने लगे की अब क्या होगा ? काफी देर सोचने के बाद कोई हल न निकलता देख दोनों एक वीरान  कुंए के पास बैठ गए।

उनमें से एक दोस्त जो वीरू था कुएं में गिर गया। गिरने के बाद वह जोर जोर से चिल्लाने लगा और उसकी साँसे रुकने लगी। इससे जय भी जो कुएं के बाहर था सदमे में आ गया और वो भी जोर जोर से चिल्लाने लगा “कोई मेरे दोस्त की जान बचाओ नहीं तो मर जायेगा”, पर जंगल में उसकी सुनने वाला कोई न था |

अंत में जब उसे कही से कोई सहायता न मिली तो उसने कुएं के पास पड़ी एक बाल्टी उठाई जो एक लम्बी रस्सी से बंधी हुई थी। उसने एक सेकंड भी बर्बाद नहीं किया और कुएं में बाल्टी फेंक दी और दोस्त से बोला इसे पकड़ो और ऊपर आ जाओ।

वीरू ने बहुत कोशिश की परन्तु वो ये जानता था की जय उसके वजन को सहने में समर्थ नहीं है अगर जय ने रस्सी बीच में छोड़ी तो वो कुएं में गिर कर घायल हो सकता है और अगर कही जय का संतुलन रस्सी खिंचने के दौरान बिगड़ा तो वो भी कुएं में गिर जाएगा।

वीरू ने जय से कहा “दोस्त तुम घर चले जाओ और अपनी जान बचाओ मेरा निकलना नामुमकिन है”। जय भला अपने दोस्त को कैसे छोड़ कर जाता।

कुछ पल तो वो फूट फूट कर रोया और खुद को कोसता रहा की कहा से कहा वो जंगल में आ गया उसने ध्यान दिया होता तो वो इस मुसीबत में नहीं फँसते, वीरू तो शरारती है पर उसे तो ध्यान रखना चाहिए था।

एक तरफ जय की आँखों से आंसू निकल  रहे थे तो दूसरी तरफ वो अपने किए पर पछता रहा था। शाम ढलने वाली थी ,वीरू का शरीर ठंडा पड़ने लगा था उसकी कँपकँपी बढ़ चुकी थी।  जय ने आंसू पोंछे और तय किया की वो एक बार कोशिश जरूर करेगा।

रस्सी लंबी थी ,उसने रस्सी के एक सिरे को निकट के पेड़ से बाँध दिया और दूसरे सिरे पर बंधी बाल्टी को कुएं में गिरा दिया। उसने वीरू से कहा “वीरू याद है जब हम लकड़ी की गाड़ी वाला खेल खेलते थे ,तुम हमेशा मुझे खिंच लेते थे ,परन्तु मैं तुम्हें नहीं खिंच पाता था तो तुम अपना एक पैर बाहर रख लेते थे जिससे गाड़ी का वजन कम हो जाता था और मैं तुम्हें खिंचने में सफल हो जाता था, आज बिलकुल तुम्हें ऐसा ही करना है ,तुम्हें एक पैर बाल्टी में रखना और दूसरा पैर से कुएं की दीवारों को नीचे की तरफ धक्का देना है”।  

वीरू का शरीर पानी ठंडा होने की वजह से अकड़ गया था परन्तु अपने दोस्त की आँखों में आंसू देखकर उसने हिम्मत जुटाई। जय ने रस्सी को खींचना शुरू किया और वीरू ने कुएं की दीवार को नीचे की तरफ धक्का देना शुरू किया।

जैसे ही वो कुएं की दीवार को नीचे की तरफ धक्का देता और जय रस्सी खिचता बाल्टी थोड़ी ऊपर आ जाती। रात हो  चुकी थी परन्तु चाँद आसमान में चमक रहा था जिससे कुएं पर हल्की हल्की रोशनी पड़ रही थी।

पूरी रात जय रस्सी खिंचता रहा और वीरू पैरो से दीवार को धक्का देता रहा। अंततः सुबह की किरण के साथ वीरू कुएं से बाहर आ चुका था। वीरू को बाहर देख जय के जान में जान आ गई।

दोनों बेहद थके हुए थे कुएं के पास ही जमींन पर लेट गए और एक लंबी सांस ली उन्होंने एक दूसरे से वादा किया की वो कभी एक दूसरे को अकेला नहीं छोड़ेंगे।

जय की बहादुरी और चतुराई से वीरू की जान बच गई अगर जय वीरू की बात सुनता और हार मान जाता  हार मान जाता तो उसे अपने सबसे प्यारे दोस्त से हाथ होना पड़ता।   

निष्कर्ष- विपरीत परिस्थितियों में इंसान के धैर्य और बुद्धिमता का का पता चलता है। ‘प्रयत्न’ एक ऐसा शब्द है जो मुश्किल से मुश्किल कार्य को भी भी एक दिन आसान बना देता है। 

Hindi Moral Stories: यक्ष दान

एक बार एक गरीब बेघर भिखारी होता है। किसी तरह वो भिक्षा मांग मांग कर गुजर बसर कर रहा होता है। हर दिन की तरह एक दिन वो भिक्षा मांग कर खाने के लिए रखता है परन्तु अगले दिन उसके खाने का सामान चोरी हो जाता है।

भिखारी चिंतित हो जाता है की ये रोज़ रोज़ उसकी भिक्षा सामग्री कौन चोरी कर रहा है। खोज बिन करने पर वो एक चूहे को अपना सामान चुराते हुए पकड़ लेता है और कहता है “हे चूहे तुम मुझ गरीब का सामान क्यों चुरा रहे हो मैं तो पहले ही बड़ी मुश्किल से गुजर बसर कर रहा हूँ चुराना है तो किसी अमीर का सामान चुराओ।

चूहा भिखारी से कहता है “माफ़ करना पर तुम्हारी किस्मत में यही लिखा है ,तुम आठ चीज़ से ज्यादा अपने पास कुछ रख ही नहीं सकते, यही तुम्हारी तक़दीर है”। भिखारी उदास हो जाता है की आखिर ईश्वर ने उसके साथ ऐसा क्यों किया।

वो चूहे से बोलता है की आखिर मेरे साथ ऐसा क्यों है? चूहा बोलता है “मुझे नहीं पता जाओ भगवान बुद्ध से पूछो, वही इसका जवाब दे सकते है”। भिखारी जवाब की तलाश में भगवान बुद्ध से मिलने निकल पड़ता है।

चलते चलते शाम ढल जाती है, उसे किसी व्यक्ति के यहाँ आश्रय लेना पड़ता है। व्यक्ति भिखारी के यहाँ जलपान करता है। अगली सुबह जब भिखारी यात्रा के लिए आगे बढ़ता है तो घर का मालिक उससे उसकी यात्रा का कारण पूछता है।

भिखारी वही शब्द दोहराता है की वो भगवान बुद्ध से अपने सवाल का जवाब जानने जा रहा है।  घर का मालिक कहता है की क्या वो उसके लिए एक प्रश्न पूछ सकता है, भिखारी हाँ में सर हिलाता है।

मालिक कहता है “ मेरी एक सोलह साल की बेटी है जो गूंगी है ,मुझे जानना है की वो कब बोलेगी”। भिखारी उसे आश्वस्त कर आगे बढ़ जाता है।  

अगले पड़ाव में भिखारी को पहाड़ की कई सारी चोटियाँ पार करनी होती है जो उसके लिए नामुमकिन होता है इतने में उसे एक जादूगर दिखाई देता है। जादूगर उसे वो पहाड़ अपनी छड़ी पे बिठा के पार कर देता है और उससे पहाड़ पार करने का कारण पूछता है।

भिखारी फिर वही दोहराता है। जादूगर उसे कहता है की क्या वो उसकी तरफ से एक प्रश्न पूछ सकता है? भिखारी बोलता है क्यूँ नहीं जरूर।

जादूगर बोलता है की वो 100 साल से इंतजार कर रहा है की वो कब स्वर्ग जाएगा ,उसकी जानकारी के हिसाब से उसे अब तक स्वर्ग पहुँच जाना चाहिए था परन्तु वो अब तक नहीं जा पाया ।

वो इसकी वजह जानना चाहता है। भिखारी उसे भी आश्वस्त कर आगे बढ़ जाता है। आगे भिखारी को नदी पार करनी होती है ,नदी के तट पर उसे कछुवा दिखाई देता है।

कछुवा भिखारी को नदी पार कराने में सहयोग करता है ,वो उसे अपने ऊपर बिठा नदी पर करा देता है ,साथ ही साथ उसे ऐसा करने का कारण पूछता है। भिखारी फिर वही सब दोहराता है।

कछुवा उसे अपना एक प्रश्न बुद्ध से पूछने के लिए आग्रह करता है जिसे भिखारी मान जाता है। कछुवा कहता है “मैं 500 साल से ड्रैगन बनने का इंतजार कर रहा हूँ पर अब तक नहीं बना ,मेरे ज्ञान के हिसाब से मुझे ड्रैगन बन जाना चाहिए था परन्तु नहीं बना, मुझे जानना है की क्यों नहीं बना”? भिखारी उसे भी आश्वस्त कर आगे बढ़ जाता है।  

भिखारी जब भगवन बुद्ध के पास पहुंचता है वो ध्यान मग्न होते है। भगवान बुद्ध को प्रणाम कर वो उन्हें अपने आने का कारण बताता है और कहता है की उसे कुछ प्रश्नों के उत्तर चाहिए। भगवन बुद्ध कहते है “ मैं सिर्फ तीन प्रश्नों के उत्तर दे सकता हूँ ,तुम कोई भी तीन प्रश्न पूछ सकते हो”।

भिखारी सोच में पड़ जाता है की उसके अपने प्रश्न को मिला कर प्रश्न तो चार है फिर वो 3 प्रश्न कौन कौन से पूछे ,किसके प्रश्न को छोड़े। इसी उधेड़ बुन में भिखारी को उस मूक बधिर लड़की की याद आती है जो बोल नहीं सकती जिसके माता पिता बहुत दुखी रहते है।

उसके बाद उसे वो जादूगर याद आता है जो 100 सालों से स्वर्ग में जाने का इंतजार कर रहा है और दिन रात इसी बात से दुःख में डूबा रहता है।

उसके बाद उसे वो कछुवा याद आता है जो 500 साल से ड्रैगन बनने के लिए दिन रात प्रभु का स्मरण कर रहा है और बढ़ती उम्र की वजह से तकलीफ झेल रहा हैं अंत में उसने खुद के बारे में सोचा ,उसने सोचा की उसका क्या है वो तो जैसे था वैसे ही जी लेगा ,जैसे भिक्षा मांग कर गुजारा करता था वैसे ही कर लेगा परन्तु इन लोगों का दुःख उसके दुःख से कई गुना बड़ा है।

अंततः उसने सिर्फ 3 प्रश्न भगवान बुद्ध से पूछे।   भगवन बुद्ध ने कहा “ कछुवा ड्रैगन बनाना चाहता है परन्तु वो अपनी सख्त खोल को नहीं छोड़ रहा, उससे उसका मोह भंग नहीं हो रहा इसलिए वो ड्रैगन नहीं बन पा रहा।

जादूगर अपनी छड़ी को कभी नहीं छोड़ता, जब तक वो अपनी छड़ी का त्याग नहीं करेगा वो स्वर्ग नहीं जा पायेगा। मूक बधिर लड़की सच्चा हमसफर मिलते है बोलना शुरू कर देगी, इतना कहकर भगवान ध्यान में मग्न हो गए।

भिखारी ने कछुवे को खोल की बात बताई ,कछुवे ने जैसे ही खोल छोड़ा वो ड्रैगन बन गया और उसके खोल से एक मोती निकला जिसे उसने भिखारी को दे दिया। जादूगर ने छड़ी भिखारी को दे दी और वो स्वर्ग चला गया।

भिखारी जैसे ही लड़की के पास गयी उसने भिखारी से कहा “ आप वही है न जो पिछली बार यहाँ आए थे, आप मुझे पसंद है”। भिखारी की शादी उस लड़की से हो गयी।

भिखारी के  पास अब सब कुछ था , कीमती मोती, जादुई छड़ी और खूबसूरत बीवी, और उसे ये सब उसके परमार्थ के भाव की वजह से प्राप्त हुआ था। 

पूरी जिंदगी हम ‘मैं’ ‘मैं’ की रट लगाते रहते है और परेशान रहते है ,हमें हमारा दुःख दुनिया में सबसे बड़ा लगता है और इसी गलानी में जीते रहते है जबकि अगर थोड़ा सा सब्र रखकर हम दूसरों के बारे में सोचे तब हम एहसास होगा की दुनिया हमसे मजबूर और मजलूमों से भरी पड़ी है और उनका दुःख हमसे कई गुना बड़ा है।

ईश्वर उसी का बेड़ा पार करते है जो दूसरों के दुखो में हमदर्द बनता है। 80  पद्मा पुराण में लिखा गया है की जो जन्म लेता है उसका मरना निश्चित है बस इंसान को पूरी उम्र मौत को सार्थक बनाने के लिए कार्य करना चाहिए।इसी विषय में में जैन धर्म के तुलसी जी एक कहानी कहते थे।

एक बार एक मछुवारा था, वो समुद्र से मछली पकड़ कर अपने और अपने परिवार का पालन पोषण करता था। एक दिन एक प्रसिद्ध विद्वान मछुवारे से मिलने आया। विद्वान ने मछुवारे से पूछा “तुम्हारे पिताजी कहा है”? मछुवारे ने तपाक से कहा “समुद्र में डूब कर मर गए।

विद्वान ने फिर पूछा की “तुम्हारे चाचा कहा है”? महुवारे ने कहाँ समुद्र में एक तूफ़ान आया था वो उन्हें बहा ले गया। विद्वान बड़े हैरान थे उन्होंने बात को आगे बढ़ाते हुए पूछा “ तो क्या तुम्हारे दादा जी भी समुद्र की वजह से भी मरे थे”? मछुवारा बोला “ मेरे दादा जी ,दादा जी के छोटे भाई, मेरा बड़ा भाई और मेरी एक चाची सभी इसी समुद्र की वजह से मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। विद्वान को बड़ा अचम्भा हो रहा था की ये कैसा व्यक्ति है बड़े आराम से मरने की गाथा सुना रहा हैं।   

विद्वान ने फिर कहा “तुम भली भाँति परिचित हो की इस समुद्र की वजह से तुम्हारे घर के आधे सदस्य मारे गए है ,ये जानते हुए भी तुम ये काम छोड़ क्यों नहीं देते”? मछुवारा ने जो जवाब दिया उसके बाद विद्वान व्यक्ति भाव शून्य हो गया।

मछुवारे ने कहा “ अगर मौत लिखी है तो वो जरूर आएगी, चाहे वो समुद्र में हो या फिर घर में, सिर्फ मौत से बचने के दर से मैं अगर ये कार्य छोड़ भी दूँ तो क्या मैं मौत से बच जाऊंगा, नहीं न बिलकुल नहीं”।

मछुवारे ने आगे कहा “ क्या आपके घर में कोई समुद्र तक आया है”? विद्वान ने कहा “नहीं तो”। मछुवारा तपाक से बोला फिर तो सभी जिंदा होंगे आपके घर में आपके दादा, परदादा ,आपके चाचा या आपके अन्य रिश्तेदार”।

विद्वान व्यक्ति एकदम चुप हो गया, उसके पास कोई ऐसा तथ्य न था जो मछुवारे की बात को काट सके। ये सत्य है की जो इस जग में आया है उसका मरना निश्चित है फिर चाहे घर की चार दीवार में हो या खुले मैदान में , समुद्र में हो या तूफानों में , अगर किसी के हिस्से में जिंदगी लिखी है  तो उसे कोई मार नहीं सकता और अगर मौत लिखी है तो कोई ताल नहीं सकता। फिर मौत के डर से किसी कार्य का त्याग कर देना या उसे छोड़ देना बुद्धिमता कभी नहीं हो सकता।

Hindi Moral Stories: यक्ष प्रश्न

एक बार एक नगर के राजा को सोते हुए सपना आया। सपने में उसने देखा की कोई साधु बाबा उसके पास आये और उससे 3 प्रश्नों का उत्तर जानने की इच्छा जाहिर की। राजा जब सुबह उठा तो तीनों प्रश्न उसके दिमाग में अभी भी तैर रहे थे।

उसने बहुत कोशिश की परन्तु उन तीन प्रश्नों का उत्तर नहीं खोज पाया। व्याकुल होकर उसने वो तीनों प्रश्न अपने मंत्री को बताए और “ नगर में जाइए और घोषणा कर दीजिये की जो राजा के तीन प्रश्नों का उत्तर देगा उसे बहुत सारी मुद्राये और आभूषण उपहार स्वरूप दिया जाएगा”।

वो तीन प्रश्न है         

1 किसी कार्य को शुरू करने का सबसे अच्छा समय कौन सा है’?

2 किसी व्यक्ति को किन किन लोगों की सुननी चाहिए?

3 किस कार्य को प्राथमिकता के आधार पर करना चाहिए यानी कौन सा कार्य पहले किया जाना चाहिए?  

राजा की इच्छा जानकार बहुत पहुंचे हुए विद्वान और फिक्र राजा के पास आये। सभी ने अपना अपना तर्क दिया। पहले प्रश्न के जवाब में कोई कहता की आपको ज्योतिष के पास जाना चाहिए वो आपको बताएगा की किसी कार्य का सही समय क्या है?

ताकि आपका काम सफल हो जाए, तो कोई कहता आपको कुछ बुद्धिमान व्यक्ति रखने चाहिए जिसकी सलाह पर आप कार्य कर शुरू कर पाए।दूसरे प्रश्न के यक्ष में किसी ने कहा की आपको अपने मंत्रियों की सुननी चाहिए तो किसी ने कहा की आपको जादूगर की सुननी चाहिए ,तो किसी ने पिता तो किसी ने पत्नी।तीसरे प्रश्न के यक्ष में किसी ने कहा आपको सबसे जरूरी चीज़ पहले करनी चाहिए ,तो किसी ने कहा की आप टाइम टेबल बना ले की किसे पहले करना है किसे बाद में।

भिन्न भिन्न लोगों ने भिन्न भिन्न जवाब दिए परन्तु राजा किसी के जवाब से संतुष्ट न हुआ। उसी राज्य के जंगल में एक फ़क़ीर अकेला रहता था। किसी ने राजा से कहा की आपको आपके प्रश्नों के जवाब वो फ़क़ीर ही दे सकता है परन्तु समस्या ये है की वो अमीरों से नफरत करता है। राजा फ़क़ीर की तलाश में जंगल में गया।

फ़क़ीर से मिलने से पहले उसने एक गरीब का रूप धारण किया और अपने घोड़ों के साथ सेना को फ़क़ीर की कुटिया से दूर खड़े रहने का आदेश दिया। जब वो वहाँ पहुंचा तो फ़क़ीर गड्ढा खोद रहा था और पसीने से लथपथ था।

अपनी तरफ एक निर्धन को आते देखकर भी वो रुका नहीं बल्कि अपना कार्य करता रहा। राजा ने फ़क़ीर से वो तीनों प्रश्न दोहराए परन्तु फ़क़ीर कुछ न बोला। 2-3 बार दोहराने पर भी राजा को कोई जवाब न मिला।

राजा ने सोचा लगता है बाबा थक गए है। राजा ने उनसे कुदाल को देने का आग्रह किया ताकि वो आराम कर पाए और काम भी न रुके। फ़क़ीर ने राजा को कुदाल दे दी ,राजा गड्ढा खोदने लगा।

गड्ढा खोदते खोदते शाम ढल गई परन्तु राजा को उसके प्रश्नों के जवाब न मिला।  शाम ढल चुकी थी ,फ़क़ीर और राजा गड्ढे से मिट्टी निकाल रहे थे, अचानक एक व्यक्ति भागता हुआ उनकी तरफ आया।

उसने दोनों हाथ से अपने पेट को दबा रखा था उसके दोनों हाथ खून से सने हुए थे। शायद वो घायल था। आते ही वो चिल्लाने लगा “मुझे बचा लो ,मुझे बचा लो” और बेहोश हो गया। राजा ने जब उसके कपड़े निकाले तो देखा एक बड़ा सा जख्म उसके पेट में था। राजा ने खूब मरहम पट्टी की पर उसका खून नहीं रुक रहा था।

राजा तब तक उसका इलाज करता गया जब तक उसका खून न रुका। आधी रात हो चुकी थी राजा बहुत थका हुआ और भूखा प्यासा था। उसकी आँखों में गहरी नींद थी, वो वही मैं पर सो गया।

सुबह होते ही घायल आदमी को भूख लगी, राजा ने उसे खाना और पानी दिया। भूख मिटने के बाद घायल आदमी जोर जोर से रोने लगा, अचानक उसे रोता देख राजा को बड़ी हैरानी हुई।

राजा ने उससे इसका कारण पूछा, उसने कहा “मैं आपके पड़ोसी देश का राजा हूँ ,अपने पिछले युद्ध में मेरे भाई को बंदी बना लिया था और उसकी सारी संपत्ति लूट ली थी।

मौका देखकर मैं आपको मारने आया था परन्तु आपके सिपाहियों ने मुझे देख लिया और हमला कर दिया। जान बचाते हुए मैं आपके पास आया। जिसको मैं मारना चाहता था उसी ने मेरी जान बचाई ,मैं कृतज्ञ हूँ आपका।

मुझे अपने चरणों में जगह दे दीजिये। राजा दया से भर गया उसने घायल आदमी से वादा किया की वो उसके भाई को छोड़ देगा और उसकी संपत्ति भी लौटा देगा। घायल आदमी ने कहा की वो अपने बेटों को जाकर बताएगा की जिसे वो मारने गया था उसी ने उसे जीवनदान दिया है। वो अपने बेटों पुरी उम्र राजा की सेवा करने के लिए कहेगा। ऐसा कहकर घायल आदमी वहाँ से चला गया।       

फ़क़ीर चुप चाप सारा नज़ारा देख रहा था। उसने कहा मुझे उम्मीद है आपके प्रश्नों का जवाब आपको मिल गया होगा। राजा ने कहा “वो कैसे”? फ़क़ीर ने कहा “जब आप मेरे पास आये मैं गड्ढा खोद रहा था, आपने बहुत विनती की की मैं आपके प्रश्नों का जवाब दूँ, परन्तु मैंने कार्य बीच में नहीं छोड़ा उसी वक़्त पूरा किया ,इसका मतलब है किसी कार्य को करने का सही वक्त होता है “अब” यानी वर्तमान समय।

वो घायल व्यक्ति आपके पास आया अपने उसकी जन बचाई अगर आप न होते तो वो मर जाता इसका मतलब आपको उस व्यक्ति की सुननी चाहिए जो ‘वर्तमान समय’ में आपके साथ हो, वही व्यक्ति आपके लिए सबसे जरूरी होता है।

आप काम से बहुत थके थे परन्तु अपने लगातार उस घायल व्यक्ति की बिना नींद और चैन की परवाह किए बिना आधी रात तक उसकी सेवा की यानी की सबसे जरूरी काम इस दुनिया में कुछ है तो वो है ‘भलाई’ का कार्य जो सबसे पहले किया जाना चाहिए।

राजा फ़क़ीर की पूरी बात समझ गया और प्रसन्नता पूर्वक अपने महल की तरफ चल दिया। राजा खुश था की उसे उसके प्रश्नों के जवाब मिल गए।

Hindi Moral Stories: सच्चा उत्तराधिकारी

 एक नगर का राजा वृद्ध हो चला था। राजा की कोई संतान न थी। राजा इस बात से चिंतित रहता था की उसके बाद उसका उत्तराधिकारी कौन होगा? उसने सगे संबंधियों ,रिश्तेदारों में नज़र दौड़ाई पर उसे कोई सुयोग उत्तराधिकारी न मिला।

राजा मायूस हो गया। उसने मंत्री को बुला अपनी सारी पीड़ा बताई और उससे कहा की वो नगर में जाकर घोषणा कर दे की राजा को अपने उत्तराधिकारी के लिए एक सुयोग व्यक्ति की तलाश है ,कोई भी व्यक्ति जो अपने आप को इस काबिल समझता है वो राजा के दरबार में मुकर्रर तिथि को उपस्थित हो। मंत्री ने ठीक ऐसा ही किया।

उद्घोषणा सुनते ही नगर में हलचल बढ़ गई। हर कोई अपने दस्तावेज, अपनी काबिलीयत की जांच परख करने लगा। किसी ने अच्छे कपड़े सिलवाए तो किसी ने फर्जी दस्तावेज बनवाए ,तो कोई अपनी भाषा-शैली ठीक करने लगा। नगर के नवयुवकों में राजा बनने की होड़ लग गई।         

उसी नगर में एक बेहद गरीब युवक रहता था। उसके पास न अपना घर था न ठीक से दो वक़्त की रोटी उसे नसीब होती थी। राजा द्वारा उद्घोषणा जब युवक को मालूम चली वो मायूस हो गया। उसने सोचा की उसके पास न तो अच्छे कपड़े है और न अच्छी डिग्रियां फिर भला राजा उसे अपना उत्तराधिकारी क्यों बनाएगा?।

किसी तरह मेहनत करके उसने अपने लिए एक  जोड़ी नए कपड़े खरीदे और कुछ खाने के सामान का इंतजाम किया। रास्ता लम्बा था और उसके पास इतने पैसे न थे की वो जाने के लिए घोड़े गाड़ी की व्यवस्था कर पाए इसलिए उसने पैदल ही वहाँ जाने का सोचा।

नए कपड़े पहन कर और झोले में रास्ते के लिए खाना लेकर वो राजा के महल की तरफ चल पड़ा। उसने आधा ही रास्ता तय किया होगा की उसे बीच रास्ते में एक दरिद्र और बुड्ढा व्यक्ति दिखाई दिया। उसके कपड़े जगह जगह से फटे हुए और मैले थे।

जैसे ही बूढ़े व्यक्ति ने नौजवान को देखा वो कराहने लगा “ बेटा मैं बहुत दिनों से भूखा  और प्यास हूँ मेरे कपड़े भी फट चुके है ,कृपया मेरी मदद करो”।

नौजवान व्यक्ति ने पहले दिन ही नए कपड़े पहने थे और वो राजा के दरबार साक्षात्कार के लिए जा रहा था। उसने सोचा की मेरे बदन पर तो पुराने कपड़े है ही अगर मैं नए कपड़े इस बूढ़े व्यक्ति को दे दूंगा तो ये इनसे कई साल गुजारा करेगा, मेरा क्या है?

मुझे तो सिर्फ आज के लिए ही नए कपड़े चाहिए थे। नौजवान व्यक्ति ने अपने नए कपड़े और झोले में रखी खाने की सामग्री उस बूढ़े व्यक्ति को दे दी और आगे बढ़ गया। वो खुश था की उसने आज किसी दुखिया की मदद की है।         

नौजवान राजा के दरबार में बहुत विलम्ब से पहुंचा। दरबार में रखी सारी कुर्सियाँ भर चुकी थी, उम्मीद से ज्यादा उम्मीदवार मैदान में थे। वो जाकर किसी कोने में खड़ा हो गया।

सभी नए नए परिधान पहन कर विश्वास से परिपूर्ण नजर आ रहे एक सिर्फ वही था जो पुराने कपड़ों में दिख रह था। सभी उम्मीदवार राजा के आने का इंतजार कर रहे थे।

राजा के आने की घोषणा हुई। नौजवान ने जब उत्सुकता भरी नजरों से राजा देखा वो हैरान रह गया। राजा कोई और व्यक्ति नहीं वो बुड्ढा व्यक्ति था जो उसे बीच रास्ते में मिला था। उसने उसके दिए हुए कपड़े ही पहन रखे थे।

वो कुछ पल के लिए राजा को देखता ही रहा गया। उसे समझ नहीं आ रहा था की ये क्या हो गया है। राजा ने सभी उम्मीदवारों को देखा और कहा “ आप सभी के आने के लिए शुक्रिया परन्तु मैंने उस सुयोग व्यक्ति की तलाश कर ली है जो मेरा उत्तराधिकारी बनेगा।

राजा अपने सिंहासन से उठा और नौजवान व्यक्ति को जो किसी कोने में छुपा पड़ा था को सिंहासन पर लाकर बिठा दिया। सभी हैरान थे की आखिर ये गंदे और पुराने कपड़े में दिखने वाला व्यक्ति राजा कैसे बन सकता है?सभी के प्रश्नों को जानते हुए राजा ने कहा “ राजा वो होता है जो अपनी प्रजा का ख्याल रखता है ,जिसके दिल में प्रजा के लिए अथाह प्रेम और करुणा होती है ,जो खुद से पहले अपनी प्रजा के बारे में सोचता है, जो त्याग का मूरत होता है।

आये हुए सभी प्रतिभागियों में से सिर्फ ये ही एक व्यक्ति है जिसके अन्दर ये सारी खूबियाँ है। राजा ने बताया की किस तरह वो नगर के बाहर एक निर्धन और भूखे व्यक्ति का भेष धारण कर आने जाने वाले लोगों से मदद मांगता रहा पर किसी ने उसकी मदद न की सिवाय उस नौजवान के जो इस वक़्त सिंहासन पर बैठा हुआ था। राजा की बात सुनते ही पूरा राज दरबार तालियों की आवाज़ से गूंज उठा।  

Hindi Moral Stories: सच्ची बहादुरी

 ये कहानी  एक ऐसे राज्य की है जो क्षेत्र में बहुत छोटा परन्तु खुशहाल था। राज्य के सभी लोग बहुत मेहनती और ईमानदार थे। राज्य का राजा हर तरह से राज्य के लोगों की मदद करता था।

राज्य के दिन बड़े  सुख और शांति में कट रहे थे परन्तु नियति हर सूख के बदले परीक्षा लेती है। राजा के साथ भी ऐसा ही हुआ। एक दिन राजा के पास उनका गुप्तचर भागता हुआ आया और राजा से बोला “ महाराज मुझे खबर मिली है की पड़ोसी राज्य हम पर 3 दिन में हमला करने वाला है”।

ये सुनते ही राजा घबरा गए और उदास हो गए। उन्हें खुद से ज्यादा अपने प्रजा की चिंता थी। राजा ने अगले दिन सभी दरबारियों और मंत्रियों को दरबार में बुलाया।

राजा ने दरबारियों के समक्ष अपनी चिंता जाहिर की और कहा “यद्यपि पूरी उम्र हमने कभी किसी पर आक्रमण नहीं किया और न किसी पर हुकूमत का सपना देखा परन्तु पड़ोसी राज्य हम पर हमला करने वाला है ,हमारी सेना इतनी विशाल नहीं है की हम उनसे जीत पाए या उनका सामना कर पाए ,हम सभी का मरना तय है”।

राजा के ऐसा कहते ही दरबार में सन्नाटा छा गया, क्योंकि ये सत्य था की राजा के पास इतनी बड़ी सेना नहीं थी की वो किसी से युद्ध कर पाए। पूरा दरबार दुःख के सागर में डूब गया। सभी मरने के दिन गिनने लगे।             

राजा का मंत्री बहुत निडर और बुद्धिमान था। उसने हमेशा मुसीबत के समय सब्र और होशियारी का परिचय दिया था। एक तरफ जहाँ सभी मौत के दिन गिन रहे थे मंत्री रणनीति बनाने में जुट गया।

दोस्तों यही एक पहचान होती है बहादुर और सच्चे इंसान की, बरसात में सारे पक्षी अपने घोसलों में छिप जाते है एक बाज ही हवा के विपरीत उड़ता है। मंत्री ने भी वैसा ही किया। 

बहुत सोच विचार कर मंत्री ने राजा से कहा “महाराज इस तथ्य से तो हम भली भाँति परिचित ही है की हमारी सेना उनका मुकाबला नहीं कर सकती, हम ये भी जानते है की हम सभी 3 दिन बाद मारे जायेंगे ,तो अब हमारे सामने एक उपाय है या तो हम 3 दिन मरने का इंतज़ार करें या फिर हम आज ही उनपर हमला कर दें बिना विलम्ब कियें। 

राजा मंत्री की बात सुन कर सकते में पड़ गया। राजा ने कहा “आपको क्या लगता है की ऐसा करके हम लोग जीत जायेंगे? मंत्री ने कहा “महाराज क्षमा चाहता हूँ ये तो नहीं पता की जीत पाएंगे या नहीं परन्तु एक बात जानता हूँ की विपक्षी खेमा अभी युद्ध के लिए तैयार नहीं है अगर हमने उन पर अचानक हमला कर दिया तो वो संभल नहीं पाएंगे इसका फ़ायदा हमें मिलेगा हो सकता है हम जीत जाए।

अब जब हम जानते है की मरना ही है तो क्यों न लड़ कर मरा जाए। राजा को मंत्री की बात पसंद आई, राजा ने युद्ध की तैयारी के आदेश दे दिए। पुरी सेना युद्ध के लिए तैयार हो गई।   

युद्ध के रास्ते में एक पुल पड़ता था। वो पुल ही एक मात्र रास्ता था जिससे होकर विपक्षी किले में जाया या आया जा सकता था। मंत्री इस बात से अच्छी तरह वाकिफ था।

जैसे ही सेना की सभी टुकड़ियों ने पुल को पार किया मंत्री ने पुल को आग के हवाले कर दिया। मंत्री ने वहां आने जाने के एक मात्र रास्ते को तबाह कर दिया। अब राजा की सेना के पास एक मात्र रास्ता था वो था सिर्फ लड़ने के था।

मंत्री के साथ साथ पूरी सेना ने वही किया। उन्होंने अचानक हमला कर दिया। अचानक हुए हमले से दुश्मन संभल नहीं पाया और इसका फायदा राजा को मिला। राजा ,मंत्री के साथ साथ पूरी सेना ने दुश्मन के छक्के छुड़ा दिए।

राजा को छोटी सेना के साथ ही विशाल जीत हासिल हुई। वो राजा जो पहले मरने के दिन गिन रहा था वो विपक्षी खेमे का किला जीत चूका था। उसने अपने बहादुर मंत्री को जीते हुए गढ़ का राजा बना दिया। 

जीवन भी ठीक इस तरह है जब आप किसी मंजिल को पाने के लिए प्रयत्न कर रहे होते है आपके सामने सिर्फ आपकी मंजिल होनी चाहिए कोई दूसरा विकल्प नहीं । लक्ष्य तभी भेदा जा सकता है जब आपके जीवन में ‘किन्तु’ और ‘परन्तु” जैसे शब्द न हों।

Hindi Moral Stories: कर्म योग

उम्र 24 साल ,सपना आईएएस बनना, रवीन्द्रन इंदौर से दिल्ली इसी सपने के साथ आया की वो भारत की सबसे प्रतिष्ठित सेवा ‘सिविल सेवा’ पास कर अधिकारी बनेगा। घर में आय के स्रोत सीमित थे परन्तु रविन्द्रन के सपने बहुत बड़े थे।

दिल्ली के मुख़र्जी नगर को आईएएस पैदा करने वाली फैक्टरी के नाम से भी जाना जाता है, उसकी वजह ये है की आईएएस की तैयारी करवाने वाले अधिकार संस्थान मुख़र्जी नगर में ही है। 10*10 के रूम में कोई अपनी पूर्वजों की जमीन तो कोई अपना घर तो कोई माँ बाप की कमाई से सपने पूरे करने के लिए आता है।

रविन्द्रन ने भी वही किया। रविन्द्रन के पास एक अच्छी डिग्री थी परन्तु  बजाए की वो किसी प्राइवेट कंपनी में नौकरी करें उन्होंने अपने सपने को प्राथमिकता दी और इंदौर से मुख़र्जी नगर आ गए। दिल्ली आकर उन्होंने एक मकान किराए पर लिया और अपनी तैयारी शुरू कर दी। 

मुख़र्जी नगर में हर वो विद्यार्थी जो तैयारी के मकसद से आ आता है समय बीतने के साथ उसकी एक पसंदीदा जगह जरूर होती है। रविन्द्र की भी थी ,शाम होते ही वो अकसर दोस्तों के साथ चाय पीने निकल जाया करते थे।

आईएएस ,पी.सी.एस वाले घंटों चाय के ठीहा पर बैठकर गपशप किया करते थे ,इसी कड़ी में एक एक व्यक्ति 3-4 कप चाय पी जाया करता था। रविन्द्र ने पाया की मुख़र्जी नगर में हर दूसरा व्यक्ति चाय का दीवाना हैं परन्तु न तो उसे चाय की अच्छी गुणवता मिल पाती है और न स्वाद।

रविन्द्र को ये बात बहुत बुरी लगी की चाय के इतने शौकीन होते हुए भी मुख़र्जी नगर में अच्छी चाय मिलना मुश्किल था।रविन्द्र ने पढ़ाई के साथ-साथ लोगों का रिव्यु लेना शुरू किया, कुछ ही महीनों में उन्होंने अंदाजा लगाया की अगर चाय थोड़ी महंगी भी हो तो चलेगा परन्तु उसका स्वाद और चाय पीने का स्थान साफ़ सुथरा और शांतिपूर्वक होना चाहिए।

ऐसी जगह पर ग्राहक खिंचा चला आता हैं। यही चीज़ रविन्द्रन के दिमाग में घर कर गई। उनका पढ़ाई में मन लगाना बंद हो गया। वो हमेशा से कोई ऐसा कार्य करना चाहते थे जो सबसे अलग हो और उसे करने में उन्हें आनंद भी मिले।      

रविन्द्रन नें यूपीएससी की तैयारी छोड़ दी और इंदौर आ गए। अपने एक दोस्त की सहायता से रविन्द्रन ने  इंदौर में एक अनोखे  छाए पीने जी जगह का निर्माण किया जिसका नाम उन्होंने “चाय सुट्टा” बार रखा। ये पूरे भारत में अपनी तरह का पहला और अनोखा चाय का स्टार्टअप था।

एकदम साफ़ सुथरा वातावरण ,सुंदर और आरामदायक बैठने के लिए कुर्सियाँ साथ ही साथ चाय की कीमत मात्र 10 रुपये। भला कोई चाय प्रेमी ऐसी जगह की कैसे अनदेखी कर सकता है।

इंदौर के लोगों ने भी ऐसा ही किया।  वहाँ के लोगों ने चाय को इतने अनोखे अंदाज में परोसने पर रविन्द्रन का पूरा साथ दिया। देखते ही देखते रविन्द्रन एक के बाद एक करके “चाय सुट्टा” के नाम से कई बार खोलते गए।

आज की तिथि में रविन्द्रन ने पूरे इंदौर में 149  से ज्यादा “चाय सुट्टे” खोल रखे है। उनके पूरे “चाय सुट्टा” की आमदनी अगर जोड़ी जाए तो आपको अपनी हैरानी का ठिकाना नहीं रहेगा। जितना एक आईएएस पूरे साल में नहीं कमा पाता उतना वो एक दिन में कम लेते है। 

रवीन्द्रन आज 3 लाख कप चाय एक दिन में बेच रहे है। रविन्द्रन ने  न जाने कितने लोगों को रोजगार दिया है ,कितनों का घर उनकी वजह से चल रहा है।  

बकौल रविन्द्र “अगर मैं यूपीएससी पास करता तो शायद मैं उतने लोगों के जीवन के लिए कार्य नहीं कर पाता जितना मैं अब कर रहा हूँ, मेरे लिए मेरी पसंदीदा जगह मेरी “चाय सुट्टा” ही है। ‘लोग दिन भर काम करते है और थक जाते है अगर उनकी दिन भर की थकान मेरे एक कप चाय से मिट जाए तो मैं नहीं समझता की इससे अच्छा काम मैं कर सकता हूँ”।  

कई बार हम ये तय नहीं कर पाते की हमें जिंदगी में करना क्या है , या कई बार ऐसा होता है की हम जो चाहते है वो नहीं बन पाते। यदि आपके साथ भी जिंदगी में कुछ ऐसा हो तो यकीन कीजिये ईश्वर ने हर किसी के लिए भूमिका तय की हुई है ,निराश न होकर निरंतर कार्य करते रहिये आपको सफलता अवश्य मिलेगी।

Hindi Moral Stories: जीवन एक परीक्षा

एक बार एक हिरण पानी की तलाश में जंगल में भटक रहा था। घूमते घूमते काफी वक़्त गुजर गया पर उसे पानी नहीं मिला। हार थककर वो एक पेड़ की छाँव में बैठ गया ,परन्तु उसकी प्यास और तेज हो गई, वो प्यास से बेचैन था।

कुछ दूर आगे चलने पर उसे एक नदी दिखाई दी। नदी में पर्याप्त पानी था जिससे हिरण की प्यास बुझ जाए। जैसे ही वो पानी पीने के लिए आगे बढ़ा उसने देखा की उसकी दाई तरफ झाड़ के पीछे एक शिकारी बन्दूक लिए खड़ा है।

वो सहम गया, उसने सोचा की वो बाई तरफ भाग कर अपनी जान बचा लेगा पर ये क्या उसकी बाई तरफ शेर नजरे गड़ाए उसकी तरफ देख रहा था। हिरण सोच में पड़ गया की वो पानी पीने आया है या अपनी जान देने।

हिरण ने सोचा की पीछे की तरफ भागा जाए ,जैसे ही वो पीछे मुड़ा उसने देखा की जंगल में आग लग चुकी है और आग धीरे धरी उसकी तरफ बढ़ रही है। उसे अपनी किस्मत पर दया आ गई। आगे नदी, पीछे आग, दाई तरफ शिकारी ,बाई तरफ शेर, मतलब भगवान ने उसके मरने के लिए चारों तरफ से यमदूत भेजे थे।

उसे कुछ सूझ नहीं रहा था की क्या किया जाए? उसने सोचा की हर तरफ मौत खड़ी है वो कुछ भी कर ले पर बच नहीं पायेगा। अंततः उसने निर्णय लिया की वो जिस काम के लिए आया था पहले वो ही करेगा, मौत आनी है तो आये।

उसने सारी चिंता छोड़ पहले अपनी प्यास को बुझाने की सोची। हिरण आराम से पानी पीने लगा। हिरण ने  थोड़ा पानी ही पिया होगा, क्या देखता है की आसमान में काले बादल छा गए ,और बहुत तेज बारिश शुरू हो गई । बारिश इतनी तेज थी की जंगल की आगे बुझ गई।

शिकारी ने जैसे ही बन्दूक चलाई बारिश के पानी की वजह से उसका निशाना चुक गया और वो गोली शेर को छु कर निकली। शेर दहाड़ता हुआ शिकारी की  तरफ निकला।

शेर का निशाना अब हिरण नहीं बल्कि शिकारी था जिसने उस पर गोली चलाई थी। कुछ ही देर के अंतराल में हिरण के सारे शत्रु गायब हो चुके थे। हिरण ने भगवन को धन्यवाद दिया और जी भर के पानी पिया और चलता बना।

इस कहानी से हमें यह शिक्षा मिलती है की जीवन में कितनी भी कठिनाई का सामना करना पड़े हमें अपने पथ से विचलित नहीं होना चाहिए। जो अपनी मंजिल को याद रखकर कार्य करता है स्वयं ईश्वर भी उसकी मदद करते हैं।

Hindi Moral Stories: रियल हीरो

अगर आपसे पूछा जाए दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी कौन सी है तो शायद ही कोई ऐसा हो जिसे न पता हो। जी हाँ एक छोटे मोटे कारखाने से शुरू होकर दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी खड़ी करने का श्रेय महान एन्त्रेप्रेनुएर स्टीव जॉब्स को जाता हैं।

ये पंक्तियाँ सुनने में जितनी सुनहरी लगती है जॉब्स ने इसके लिए उतनी ही बड़ी कीमत चुकाई थी। जॉब्स का जन्म एक एक अविवाहित दम्पति के घर हुआ था।

जॉब्स के माता पिता बहुत गरीब थे जॉब्स की माँ चाहती थी की जॉब्स बड़े होकर पढ़े लिखे और बड़ा आदमी बने इसलिए वो उनके लिए किसी ऐसी माता पिता की तलाश में थी जो उन्हें पढ़ा लिखा सके। कभी कभी किस्मत के आगे हर कोई मजबूर होता है, जॉब्स के माँ बाप भी गरीबी से मजबूर थे।

स्टीव को पॉल और कालरा जॉब्स ने गोद लिया जो खुद पढ़े लिखे नहीं थे और गरीब भी थे। जॉब्स का दाखिला REED कॉलेज में हो गया। कुछ वक़्त तो सबकुछ ठीक चलता रहा परन्तु समय पर कालेज की फीस न देने के चलते जॉब्स को कालेज से निकाल दिया गया।

दुखी होकर जॉब्स घर भी छोड़ कर चले गए। उसी दौरान जॉब्स दोस्तों के घर सोते थे , कांच की बोतलें बेच कर गुजारा करते थे और मंदिर में लंगर खा कर गुजारा करते रहें।

अपने एक दोस्त डेनियल कोट्टे के कहने पर जॉब्स अध्यात्म की खोज के लिए भारत आये। सात महीने भारत में रह अमेरिका चले गए। भारत से वापस जाकर जॉब्स ने एक गेमिंग कंपनी में नौकरी कर ली।

उसी दौरान उनकी मुलाकात स्टीव वोज़ोनैक से हुई। जॉब्स ने वोजोनैक के पास एक मिनी कंप्यूटर देखा जो उन्हें बहुत पसंद आया। वोज़ोनैक और जॉब्स ने मिलकर 1 अप्रैल 1976 को एप्पल कंपनी की नींव एक छोटे से गैराज में रखी।

जॉब्स पहले एप्पल वन लेकर आये जिसे जबरदस्त रिस्पांस मिला। जॉब्स 1977 में एप्पल टू लेकर आये जिसने कंपनी को फ़र्स से अर्श तक पहुंचा दिया।

1993 तक एप्पल 50 लाख कंप्यूटर बेच चुकी थी और कंपनी का मुनाफा करोड़ों में था, लेकिन वक़्त ने करवट ली और जॉब्स का अगला प्रोजेक्ट “लिसा” जो उनकी बेटी के नाम पे था पूरी तरह फ़ैल हो गया।

जॉब्स को कंपनी के बोर्ड ऑफ़ डायरेक्टर ने उनकी ही कंपनी से उन्हें निकाल दिया जॉब्स जहाँ से चले थे वापस वही आ गए परन्तु उन्होंने हार बिलकुल नहीं मानी।

जॉब्स को जो पैसे एप्पल से मिले थे उन्होंने उन्हीं पैसों से एक छोटे से रूम में “NEXT” नाम से अपनी दूसरी कंपनी शुरू की। ये वो वक़्त था जब एप्पल ‘टच पैड” पर काम कर रही थी पर कंपनी एक अच्छा टच स्क्रीन बनाने में सफल नहीं हो पा रही थी। “नेक्स्ट” ने एप्पल के इस समस्या का समाधान किया और जॉब्स फिर से एप्पल के CEO बन गए।

जिस कंपनी से उन्हें धक्के मार कर निकाल दिया गया था फिर उसी कंपनी की बागडोर उनके हाथ में आ गई। उस घटना के बाद जॉब्स ने कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा और एप्पल को वहां पहुंचा दिया जहाँ आने वाले 50 सालों तक कोई कंपनी नहीं पहुँच पाएगी।

बेसक जॉब्स हमारे बीच नहीं है पर उनका संघर्ष, उनका जुझारूपन और काम के प्रति उनका समर्पण हमें हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा। काम के प्रति वो इतने समर्पित थे की अपने मृत्यु से 5 दिन पूर्व तक वो अपने आई-पैड पर अपने अगले प्रोजेक्ट के लिए रिसर्च कर रहे थे। उन्होंने अपने वार्ड को ही कंपनी का ऑफिस बना लिया था। ऐसे महान व्यक्तित्व के धनी पुरुष को ये ज़माना हमेशा याद करते रहेगा।

Hindi Moral Stories: जिद के आगे जीत

दुनिया में कई लोग ऐसे होते है जो मुश्किलों का सामना तब तक करते है जब तक उन्हें मंजिल न मिल जाए। ऐसी ही कहानी हैं दुनिया की जानी मानी एक हस्ती की जिन्होंने वो सब कुछ सहा जिसे सहना किसी आम महिला या स्त्री के लिया मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा लगता है।

ओपेरा विनफ्रे का जन्म अमेरिका के मिसिसिप्पी में एक अविवाहित महिला के घर  हुआ था। उनका पालन पोषण उनकी नानी के घर हुआ था जहाँ उनके खुद के रिश्तेदारों ने उनके साथ कई बार बालात्कार किया।

ओपरा मात्र 14 वर्ष की उम्र में ही प्रेग्नेंट हो गई। उन्हें समझ नहीं आ रहा था की किया जाए। उनके सामने मरने के अलावा कोई दूसरा विकल्प न था, फिर भी उन्होंने किसी तरह खुद को संभाला।     

अपने हाई-स्कूल के दौरान ओपरा ने एक स्थानीय रेडियो में काम किया। जैसे ही वो 19 वर्ष की हुई उन्हें उसी रेडियो में एक इवनिंग का शो मिल गया। वो दिन में काम करती और रात में इवनिंग शो को-होस्ट करती। 

कुछ ही दिन हुए होंगे काम करते हुए उन्हें एक दूसरे चैनल में दिन की नौकरी मिल गई। वो बड़ी खुश हुई जब उन्हें दिन में काम करने का ऑफर मिला।       

ये 1978 का समय था जब उन्हें एक न्यूज़ चैनल में एंकर की नौकरी मिल गई। 1978  ही उन्होंने ‘दी पीपल टाक शो’ होस्ट किया। कहानी यही खत्म नहीं हुई जब उन्हें एहसास हुआ की वो किस चीज़ के लिए बनी है तो उन्होंने शिकागो जाने का फैसला किए।

ये वही दौर था जब ओपरा विनफ्रे का सुनहरा दौर शुरू हुआ। 1986 में उन्होंने ने “ओपरा विनफ्रे शो” होस्ट करना शुरू किया। उनकी अदाकारी का अमेरिका के साथ साथ यूरोप और एशिया के लोग भी दीवाने थे।

बड़ी निर्भीकता के के साथ उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के लोगों से लीक से हटकर सवाल पूछे। एक वक़्त ऐसा आया जब बड़े से बड़ा व्यक्ति उनके शो में आने के लिए इंतज़ार करता ।  

ओपरा ने इस शो के माध्यम से महिला अधिकारों ,सामाजिक मुद्दे ,आर्थिक मुद्दे और महिला समानता के लिए बहुत कार्य किया। उनके कार्यों को ध्यान में रखते हुए अमेरिकी सरकार ने उन्हें अमेरिका के सबसे बड़े “PRESIDENTIAL MEDAL ऑफ़ FREEDOM” से 2013 में सम्मानित किया। बोफोर्स 2020 द्वारा जारी वेल्थ रैंकिंग में उनकी संपत्ति 2.6 बिलियन डॉलर आंकी गई।

उन्हें दुनिया की सबसे अमीर महिला के साथ विश्व की तीसरी सबसे अमीर हस्ती होने का गौरव प्राप्त हैं। अपने जीवंत इच्छा शक्ति के दम में ओपरा ने वो किया जो किसी व्यक्ति के लिए लोहे के चने चबाने जैसा होता है।

उन्होंने अपने दुखों को कभी अपने काम के आड़े नहीं आने दिया और निरंतर आगे बढ़ती रही।    

ओपरा कहती है    “BE THANKFUL WHAT YOU HAVE, YOU WILL END UP HAVING MORE. BUT IF YOU CONCENTRATE WHAT U DONT HAVE, YOU WILL NEVER EVER HAVE ENOUGH”  – Oprah Winfrey    

Hindi Moral Stories: मेरे 7 डॉलर

Dwayne johnson यानी ‘The Rock’ का जन्म कैलिफ़ोर्निया में एक रेसलर फैमिली में हुआ। उनके पिता भी एक रेसलर परिवार से ताल्लुक रखते थे। रॉक का अधिकतर बचपन हवाई और न्यूज़ीलैंड में बिता। रॉक फुटबॉल में बहुत अच्छे थे।

अपने फुटबॉल की दक्षता की वजह से ही रॉक को यूनिवर्सिटी से स्कालशिप मिलती थी जिससे उनकी पढ़ाई का खर्चा पूरा होता था।       बहुत कम लोग जानते होंगे की रॉक 14 वर्ष की उम्र में 8-9 बार पुलिस द्वारा गिरफ्तार किये गए।

उनका जुर्म ये था की की वो हवाई  में आने जाने वाले टूरिस्ट के बैग और कीमती सामान चुरा लेते थे। रॉक के पिता के साथ बहुत सारी आर्थिक परेशानियाँ थी ,वो रॉक की परवरिश पर कभी ध्यान ही नहीं दे पाए। एक पल ऐसा भी आया जब रेंट न देने के चलते रॉक को वो घर छोड़ना पड़ा जिस घर में वो रहा करते थे।           

जब रॉक 15 साल के थे उनकी माँ ने आर्थिक परेशानियों की वजह से हाईवे पर गाड़ी के आगे कूद कर जान देने की चाही परन्तु रॉक ने किसी तरह वहां पहुँच कर अपनी माँ की जान बचा ली। 

1991 में वो यूनिवर्सिटी ऑफ़ मियामी की तरफ से चैंपियनशिप खेल रहे थे इस दौरान उन्हें इंजरी हो गई। उनके पास इतने पैसे नहीं थे की वो इलाज करा पाए और उन्होंने फुटबॉल को अलविदा कह दिया।  

1995 में एक इंटरव्यू के दौरान रॉक ने बताया की जब उन्होंने फुटबॉल को अलविदा कहा उनकी जेब में मात्र 7 डॉलर थे। आगे वो क्या करें उन्हें बिलकुल पता नहीं था। जब उन्हें कुछ नहीं सूझा तो उन्होंने पिता की तरह रेसलर बनने की ठानी।

पिता से बहुत आग्रह के बाद उनके पिता ने उन्हें रेसलिंग के लिए ट्रैन किया। 4 नवम्बर 1996 को रॉक ने wwe के साथ पहला कॉन्ट्रैक्ट साईन किया।

WWE में जब रॉक ने एंट्री की तब लोग उन्हें पसंद नहीं करते थे पर 14 फ़रवरी 1997 को जब रॉक ने ट्रिपल H को हराया तो रातों रात वो हर किसी की जुबां पर छा गए।

1997 में इंजरी की वजह से उन्हें कुछ वक़्त के लिए WWE से फर रहना पड़ा, पर अप्रैल 2000 में रॉयल रम्बल जीत कर उन्होंने वापसी की।

2004 में पहली बार उन्हें हॉलीवुड में एंट्री मिली। “The Scorpion king” के लिए उन्हें डेब्यू एक्टर के तौर पर अब तक की सबसे ज्यादा 5.6 मिलियन डॉलर की राशि मिली। वो अब तक के किसी एक्टर को दिया जाने वाला सबसे बड़ा चार्ज था। 

आगामी वर्षों में रॉक ने  बहुत सारी सुपर हिट मूवीज दी जैसे “ दी मम्मी रिटर्न्स “ फ़ास्ट एंड Furious”  ‘The Round Down’ इत्यादि।  रॉक हमेशा अपनी सफलता का श्रेय उन 7 डॉलर को देते है जिन्होंने उनके अन्दर कुछ पाने की भूख जगाई।

वो कहते है सफलता का एक ही रास्ता है जो बहुत मेहनत और सिर्फ बहुत मेहनत से होकर गुजरता है।2016 में रॉक ने सबसे महंगे एक्टर के साथ दुनिया के सबसे बड़े influencer का खिताब भी हासिल किया।   

उनकी मेहनत और लगन आज उन्हें इस मुकाम पे ले आई है की सिर्फ एक tweet के बदले उन्हें 6 करोड़ रुपये मिलते है। वो लड़का जिसकी जेब में कभी 7 डॉलर हुआ करते थे आज अरबों रुपये कुछ मिनटों में कमा लेता हैं।                         

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दोस्तों यह कहानी का अंतिम पल था। Hindi Moral Stories में लिखित यह कहानी सभी जीव जंतुओं की अहमियत को दर्शाता है। यह समाज का सत्य है कि कोई भी व्यक्ति पूर्ण रूप से सही नहीं है अर्थात कुछ न कुछ कमी हर व्यक्ति व जीव में पाई जाती है। लेकिन इसका अर्थ यह नहीं कि वह व्यक्ति या जीव का जीवन व्यर्थ है। अगर दिमागी शक्ति से सोचा जाए हर व्यक्ति के भीतर कुछ अंदरूनी ताकत मौजूद है। सिर्फ नजर चाहिए उसे तलाशने की। 

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