Hindikahani.info मे आपका स्वागत है। आज हम आपको Horror stories in Hindi भाग से एक ऐसी भूतिया कहानी साझा करने जा रहे हैं जिसे पढ़ कर आपको मज़ा और डर दोनों का एहसास होगा।
कहानी का नाम है भूतों का बारात। कहानी को झारखंड से उत्तम कुमार जी ने भेजा है। अगर आपके पास भी कोई कहानी है तो आप भी हमे भेज सकते हैं। हम यहाँ पर उसे प्रकाशित करेंगे। तो चलिए इस कहानी को शुरू करते हैं।
भूतों का बारात – Horror Stories in Hindi
दोस्तों मेरा नाम उत्तम कुमार है। मैं झारखंड मे एक आदिवासी इलाका का सुदूर गाँव का रहने वाला हूँ। ये जो घटना का मैं जिक्र करने जा रहा हूँ वो साल 2009 का है। उस समय मेरे गाँव तक बिजली नहीं पहुंची थी। 2016 मे जाकर हमे बिजली देखने मिली। उससे पहले मेरे गाँव मे रात को घनघोर अंधेरा छा जाता था। शाम को अंधेरा होते ही बहुत कम लोग बाहर देखने को मिलते थे। मेरा गाँव थोड़ा नक्सली इलाके मे भी आता है, एसिलिए भी लोग शाम होते ही घर मे घुस जाते थे।
घटना बरसात के दिनों की है। एक दिन मैं अपनी साइकिल से कुछ सामान खरीदने एक छोटा सा मार्केट गया था, जो की लगभग 9-10 km दूर है मेरे घर से। सामान खरीदते खरीदते पता ही नहीं चला की कब अंधेरा हो गया। अंधेरा होते ही बारिश भी शुरू हो गया। ऐसा बरिस था जो की रुकने का नाम ही नहीं ले रहा था। बारिश के चलते मुझे दुकान के सामने रुकना पड़ा।
रात को करीब 9.30 -10 हो गए थे। उस समय बारिश थोड़ी कमी, लेकिन थमी नहीं थी। जबतक पूरी तरह बारिश ना रुके मैं जा भी नहीं सकता था। इसीलिए मजबूरी मे मुझे रुकना पड़ रहा था। लगभग 10 बजे मार्केट पूरा सुनसान हो रहा था। मैं अकेला वहाँ अपने साइकिल और सामान के साथ था। फिर रात को करीब 10.30 बजे बारिश पूरी तरह रुक गई। मैं खुश हो के भगवान का शुक्रिया अदा कर रहा था। लेकिन मुझे क्या पता था आगे जो होने वाला था उसके बारे मे।
बारिश रुकते ही मैं घर जाने लगा था। लेकिन कीचड़ और पत्थर के कारण मैं ज्यादा स्पीड से नहीं जा पा रहा था। ऊपर से एक हाथ से टॉर्च लाइट और एक हाथ मे हैन्डल।
कुछ देर जाते ही मेरी नशीब मुझे दगा दे गई। लगभग 1-2 km के बाद मेरी साइकिल का टायर फट गया। मेरे पास कोई और चारा नहीं था सिवाय साइकिल और सामान को ठेल कर जाने के इलावा। बरसात के दिनों मे रात के करीब 11.30 हो गए थे, जो की काफी डरावने होते हैं। मुझे भी बहुत डर लग रहा था और मुझे अभी भी 5-6 km पैदल घर जाना था।
गाँव पहुँचने मे करीब 2-3 km बाकी था और टाइम करीब 12-12.30 हो रहा था। उस समय मुझे कुछ बारात मे बजने वाले बैंड की आवाज सुनाई दिया। मैं खुश हो गया और सोचने लगा चलो लोग हैं इधर और ऊपर से बाराती। मेरा डर खत्म होने लगा था।
जैसे जैसे मैं करीब जा रहा था मुझे आवाज जोर से सुनाई दे रहा था। मैं खुशी से जा रहा था। लेकिन ये जो खुशी थी वो डर मे बदलने वाली थी, मुझे जरा सा भी अंदाजा नहीं था। जैसे ही मैंने करीब पहुँचा जो मैंने देखा उसे देख कर मेरे परों तले जमीन खिसक गई।
मैंने देखा की जो बरती थे उनके न सर थे और न पैर सीधे थे। बिना सर और उलटे पैर उन्हे देख कर मैं बहुत डर गया था। मैं इतना डर गया की मैंने साइकिल और सामान छोड़ के जोर से अपने गाँव तरफ भागने लगा। 2 km का रास्ता मैंने 10-15 मिनट मे तय कर लिया था।
घर पहुंचते ही मैंने माँ और अपने पिताजी को सब बताया। वे भी सुन के हैरान हो गए। उन्होंने साइकिल और सामान के बारे मे पूछा तो मैंने बताया की मैंने डर के मारे सब छोड़ छाड़ के भागा है। फिर हमने तय किया की सुबह जल्दी जा के देखेंगे अगर नसीब अच्छा हुआ तो सामान और साइकिल दनों मिल जाएंगे।
फिर मैं और पिताजी दोनों सुबह सुबह गए उस जगह जहाँ मैंने सामान और साइकिल छोड़ के भागा था। वहाँ जाके देखे तो साइकिल और बिखरी हुई सामान हमे मिले। फिर पिताजी ने पूछा, “कहाँ तुमने वो बिना सर और उलटे पैर वाले भूतों को देखा था?” मैं वहाँ पर उनको ले गया तो वहाँ पर हमे कुछ बड़े बड़े पैरों के नीसान मिले। फिर हमलोग साइकिल को ले के घर आ गए।
उस रात मेरी नशीब अच्छी थी की मैं बच गया। उस भयानक रात को मैं कभी नहीं भूल पाऊँगा।
ये थी मेरी डरावनी भूतों की कहानी। आशा करता हूँ की आपको पढ़ के मज़ा आया होगा।
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धन्यबाद उत्तम कुमार इस Darawni kahani के लिए। दोस्तों ये था Horror stories in Hindi से एक और कहानी। अगर आपको अच्छा लगा तो comment करके बताइये। और अगर आपको भी अपनी कहानी भेजनी है तो आप हमे admin@hindidna.com पर मेल कर सकते हैं।