जिंदगी असंख्य समस्याओं से परिपूर्ण है परंतु निरंतर प्रवाहित है | प्रकृति में समाहित और प्रकृति द्वारा अनुपालित हजारों उदाहरण है जो मानव जीवन को जीने की कला सिखाते हैं, और सच कहा जाए तो इन्होंने इंसानों का हजारों सालों से मार्गदर्शन किया है परंतु मानव की बढ़ती अभिलाषा ने उसके मूल सिद्धांतों को ना केवल नाश किया है, बल्कि प्रकृति का भी विनाश किया है। जो चीज जड़ से जुड़ी नहीं हो उस में जड़त्व नही होता ।
इतनी गहरी बात को समझना उतना ही मुश्किल है जितना एक आम आदमी के लिए रॉकेट साइंस को समझना, तो आज एक लघु कथा के माध्यम से हम आपके सामने moral stories for kids in Hindi के अंतर्गत एक प्रेरणादायक कहानी लेकर आए हैं जो सिद्ध करती है की जड़ से ही जड़त्व है।
पेश है Moral stories for kids in Hindi
बहुत समय पहले की बात है एक श्यामपुर नाम का गांव था । वहां एक गरीब किसान रहता था गरीब किसान के चार बेटे थे । मेहनत मजदूरी करके खून पसीने की कमाई से किसान ने अपने बेटे को उच्च शिक्षा दिलवाई थी । चारों बेटे शहर में अच्छे-अच्छे पदों पर पदस्थ थे ।
किसान गांव में अकेला रहता था । किसी तरह खेड़ी खेती-बाड़ी करके अपना जीवन यापन कर रहा था । इस वृद्धावस्था में भी उसके चारों बेटे उसे छोड़कर विभिन्न शहरों में रहा करते थे । उन्हें अपने बूढ़े बाप की जरा भी फिक्र नहीं थी । वह साल में दो बार गांव आया करते थे जब फसल पक जाया करती थी |
पकी हुई फसलों को अच्छे दामों पर बेचकर वो दोबारा शहर लोट जाया करते थे । उनके पिताजी ने उन्हें कई बार विनती की कि वह उन्हें भी शहर ले चलें पर उन्होंने उनकी कभी परवाह नहीं की । किसान बूढ़ा हो चला था ।
अपने बेटों के ऐसे बर्ताव से वह हमेशा मायूस और निराश रहता था । उसे समझ नहीं आ रहा था कि उन्हें कैसे सबक सिखाया जाए । किसान के बेटे गांव में रहने को आसभ्यता और गांव की मिट्टी को “डर्टी लैंड” जैसे शब्दों संबोधित करते थे ।
गांव के सभी लोग किसान के चारों बेटे से सख्त नफरत करते थे । उच्च शिक्षा प्राप्त करने के पश्चात भी किसान के चारों बेटों के अंदर अथाह घमंड भरा हुआ था । किसान जानता था कि अगर उसने अपने बेटों को सही पाठ न पढ़ाया तो वह जिंदगी के रण क्षेत्र में हार जाएंगे । उसने उन्हें सबक सिखाने की योजना बनाई ।
गेहूं के फसली सीजन में ,किसान ने उन्हें संदेश भिजवाया कि वह बीमार है और उनसे मिलना चाहता है । गेंहू की फसल अभी पक्की नहीं थी । चारों बेटों ने जब अपने पिता का बीमारों वाला संदेशा देखा तो तो दौड़ते हुवे गांव पहुँचे ।
चारों के मन में यह बात घर कर गई की अगर उनमे से अगर कोई एक ना पहुंचा तो पिताजी सारी जमीन तीन हिस्सों में बांट देंगे यह सोचकर चारों के चारों गांव आ गए ।गांव आते ही उन्होंने पिताजी का हाल-चाल पूछा । किसान ने अपने बेटे को अगली सुबह अपने पसंद का एक एक खेत चुनने को कहा। सभी हैरान थे पिताजी ऐसा क्यों कह रहे हैं पर बिना किसी ऐतराज़ के सभी मान गए ।
अगली सुबह किसान के चारों बेटे अपने अपने मनपसंद खेत को चुनने के लिए निकल पड़े ,पर यह तय न कर पाए कि कौन सा किसे पसंद है । उन्हें लोभ था कि कहीं अगले को एक एक से ज्यादा ना मिल जाए या जमीन का अच्छा टुकड़ा ना मिल जाए ।
अंतः उन्होंने अपने पिताजी को ही ऐसा करने के लिए कहा l पिताजी ने वही बात दोराई के जाओ अपनी सहमति से आप लोग कोई भी अपनी मनपसंद खेत का टुकड़ा चुन लो । अगली सुबह वो दुबारा खेतो में गए । इस बार उन्होंने ने किसी मतभेद में फसने के वजाए आपसी सहमति से खेत चुन लिया ।
आप पढ़ रहे है Moral stories for kids in Hindi
जनवरी की सर्दी और कड़ाके की ठंड ,चारों लड़के ये रात भर सोचते रहे कि अगली सुबह क्या होने वाला है । उन्हें भलि भांति ये मालूम था कि उनके आये के स्त्रोत में खेती का क्या योगदान है ।
सुबह की पौ फटने के साथ ही किसान अपने बेटों के साथ उनके मन पसन्द के खेतों में बारी बारी से गया । उसने हर के खेत मे आधी फसल को जड़ के थोड़े ऊपर से काट काट के उसी जगह पर दुबारा गाड़ दिया ।
उसने चारो खेतों में ऐसा ही किया । जड़ के थोड़ा ऊपर काटता और फिर उसे वही गाड़ देता । किसान के बेटों को कुछ समझ नही आ रहा था कि क्या हो रहा है । उन्हें लगा कि उनका बुढ़ा बाप पागल हो चुका है ।
किसान ने जब अपना खत्म किया तो बेटो को पास बुलाया और कहा देखना एक सप्ताह बाद ये जो आधा मैंने काट कर जड़ से अलग किया है ये पहले वाली फसल से भी बड़ी और हरी-भरी हो जाएगी फिर मैं खेतो का बटवारा करूँगा । बेटो को कृषि की जानकारी नही थी तो उन्होंने आसानी से ये बात मान ली ।
दिन बीते और किसान अपने बेटों के साथ दुबारा खेत पर गया । उसके बेटे हैरान थे खेत की आधी फसल सुख चुकी थी ,आधी ही हरि भारी थी । जिन फसलो को किसान ने काट कर दुबारा रोपा था वो मुरझा के जमीन पर गिर गई थी । ये देख उन्हें अपने पिताजी पर इतना गुस्सा आया कि आंखे लाल पीली कर ली ।
उन्होंने उसे पागल सिद्ध करने के किये सारे गांव को बटोर लिया । सारा गांव ये देख कर माथा पीट रहा था कि कही किसान सनक तो नही गया । इसकी बुद्धि भ्रष्ठ तो नही हो गई । किस तरह उन्हीने किसान के बेटो को ढांढस बंधा कर किसान से ऐसा करने का कारण पूछा । वो हैरान थे कि किसान ने जिन फसलो को इतने मेहनत से बडा किया था उसके चेहरे पर सिकन तक नही थी । वो मुस्कुरा रहा था ।
किसान ने सुखी हुई फसल का एक डंठल उठा कर अपने बेटों की तरफ देखा और कहा “हवा भी वही थी , पानी भी वही था , सिर का सूरज भी वही था ,मिट्टी भी वही थी फिर ये फ़सल क्यो सुख गई , कोई बता सकता है ?? किसी के पास जवाब है इस बात का । सब चुप थे ।किसी के पास जवाब नही था । किसान कि आँखे नम थी , ये सुख गई क्योंकि ये अपने अपने जड़ो से (root) से कट कर अलग हो गई । अपने वजूद से अलग हो गई । इनका विकास इनके जड़ो से था । जड़ खत्म, फसल खत्म ।
इंसान भी ऐसा ही होता है ,जो इंसान अपने माता- पिता ,अपनी धरती अपने जीवनदायनी मिट्टी को भूलता है उसका विनास निश्चित है । सदैव से इतिहास गवाह रहा है कि जिस सभ्यता ने अपनी विरासत को नही संजोया वो सभ्यता काल के ग्रास में समा गई ।
एक बेटे के लिए उसके मां-बाप ही जड़ है , हो सकता है कि कुछ पल के लिए वो बिना माँ-बाप के वो आगे बढ़ पर जीवन मे फल-फूल नही सकता । एक फसल की भांति हर इंसान को अपनी मिट्टी और अपने माँ- बाप से जुड़ कर रहना चाहिए । इतना कहते ही किसान के चारो बेटे उसके पैरों में गिर पड़े और रोने लगे । अपने किये के लिए उन्हीने अपने पिताजी से माफी मांगी ।
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ये था आज का नैतिक कहानी Moral stories for kids in Hindi से। आशा करते हैं आपको कहानी पसंद आई होगी। अपना सुझाव कृपया कमेन्ट मे जरूर दें।