Neeraj Chopra Biography in Hindi: यूँ तो जिंदगी हर कोई जीता है, पर वो जिंदगी खास है जो देश के काम आये। जी हाँ सनम पर मर मिटने वालों का काफिला बड़ा है पर जो वतन पर मिट जाए ऐसे लहू कम ही मिलते है।
आज हम एक ऐसे ही इंसान की जीवन गाथा लेकर आये है जिन्होंने प्रतिज्ञा की आंच पर खुद को तपा कर सोने में ढाल लिया और देश का नाम गौरवान्वित किया। जी हाँ उस महान इंसान का नाम है भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा।
नीरज चोपड़ा जिन्होंने न सिर्फ अपने क्षेत्र का नाम रोशन किया बल्कि भारत की प्रतिष्टा को विश्व पटल पर और ऊँचा कर दिया। अपने शानदार प्रदर्शन के दम पर नीरज चोपड़ा ने खेलों के महाकुम्भ टोक्यों ओलिंपिक में भाला फेंक में रिकॉर्ड प्रदर्शन के साथ “सोना” अपनी झोली में डाला।
7 अगस्त का दिन भारतीय खेल इतिहास में एक स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। ये वही दिन था जब भारतीय तिरंगा शान से टोक्यों के आसमान में गर्व से लहरा रहा था। इस विशेष पल के लिए नीरज ने काफी कुर्बानियाँ दी जिसे शब्दों में पिरोना मुमकिन नहीं होगा।
Neeraj Chopra Biography in Hindi
नीरज चोपड़ा का जीवन परिचय – नीरज चोपड़ा का जन्म हरियाणा के पानीपत में 24 दिसम्बर 1997 को खान्द्रा नामक एक छोटे से गाँव में हुआ था। नीरज के पिता सतीश कुमार एक मझोले किसान है और इनकी माता एक गृहिणी है।
नीरज की बचपन से ही जेवलिन थ्रो में व्यक्तिगत रुचि थी। जब वो 11 वर्ष के थे तो अपने से बड़े खिलाडियों को मैदान में जेवलिन थ्रो करता हुआ देख उन्हें बड़ी उत्सुकता होती थी। ये वही वक़्त था जब नीरज का मन जेवलिन थ्रो में रम गया। वो मात्र 11 वर्ष की उम्र से ही जेवलिन थ्रो करने लग गए थे। उन खिलाड़ियों में से एक खास व्यक्ति था जय चौधरी जिसे वो हमेशा प्रैक्टिस करते हुए देखा करते थे।
नीरज की प्रारम्भिक शिक्षा- दीक्षा – नीरज ने प्रारंभिक शिक्षा पानीपत से ही पूरी की। प्रारंभिक शिक्षा के पश्चात नीरज ने चंडीगढ़ के बीबीए कॉलेज को ज्वाइन किया जहाँ से उन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री हासिल की। नीरज बचपन में काफी मोटे थे।
पढ़ाई में उनकी कोई खास दिलचस्पी नहीं थी। उनके मोटापे की वजह से गाँव के बच्चे उनका मजाक उड़ाया करते थे। नीरज के चाचा उन्हें दौड़ के लिए प्रातःकालीन खेल के मैदान में ले जाया करते थे ताकि उनका वजन कम हो जाए परन्तु नीरज की दौड़ने में कोई रुचि नहीं थी। वहाँ वो अकसर अन्य खिलाडियों को प्रैक्टिस करते देखते रहते जिससे उनकी रूचि जेवलिन थ्रो में दिन प्रति दिन बढ़ती गई।
नीरज चोपड़ा का खेल के मैदान से सेना के सूबेदार तक का सफ़र–
नीरज पढ़ाई के साथ-साथ जेवलिन थ्रो का भी अभ्यास किया करते थे। 2016 में पोल्लैंड में हुए आईएएएफ चैंपियनशिप में 86.48 मीटर भाला फेंक नीरज ने ‘सोना’ अपनी झोली में डाला।
उनकी इस सफलता से खुश होकर भारतीय सेना ने उन्हें राजपुताना रेजिमेंट में बतौर कमिशंड ऑफिसर के तौर पर सेना में सूबेदार के पद पर नियुक्त किया। आर्मी में खिलाडियों को बमुश्किल ही नियुक्ति मिलती है परन्तु नीरज ऐसा करने में सफल हुए।
ये सेना और नीरज दोनों के लिए गर्व का विषय था। नौकरी मिलने के पश्चात नीरज के ख़ुशी का ठीकाना न रहा। स्वभाव से शांत और शर्मीले नीरज चोपड़ा ने एक इंटरव्यू में बताया की आर्मी में नियुक्ति के पश्चात वो कितने खुश थे।
उन्होंने बताया की उनके परिवार में वो पहले ऐसे व्यक्ति थे जिसे सरकारी नौकरी मिली है ,इससे पहले कोई उनके परिवार में किसी सरकारी पद पर नहीं रहा। अत्यंत सरल स्वभाव में उन्होंने बताया की वो अपनी ट्रेनिंग जारी रखने के साथ-साथ अब अपने परिवार की आर्थिक तौर पर भी मदद कर पाएंगे।
नीरज चोपड़ा का व्यक्तिगत जीवन –
नीरज चोपड़ा मात्र 23 साल के एक युवा है। नीरज चोपड़ा की उंचाई 5.11 मीटर है। वो पारिवारिक रूप से अविवाहित है। नीरज का पुरा ध्यान अभी अपने करियर और अपने खेल में लगा है। एक साक्षत्कार में उन्होंने बताया की उनका एक मात्र लक्ष्य देश के लिए खेलते रहना है।
नीरज चोपड़ा के कोच – नीरज चोपड़ा अपने खेल में निखार के लिए बहुत कठिन परिश्रम करते है ,इस काम में उनके व्यक्तिगत कोच ‘उवे होन’ जो प्रसिद्ध जेवलिन थ्रो प्लेयर रह चुके है ने उनकी बहुत मदद की है। सही मार्गदर्शन की बदौलत ही वो टोक्यों ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीत सके।
नीरज चोपड़ा के खेल का ट्रैक रिकॉर्ड – नीरज चोपड़ा के खेल का सफ़र 2012 में ही शुरू हो गया था। नीरज ने अपना पहला भाला 2014 में मात्र 7000 में ख़रीदा था। अन्तराष्ट्रीय स्तर पर खेलने के लिए उन्होंने 100000 रुपये का भाला खरीदा।
ये अब तक का उनका सबसे महंगा भाला था। एशियाई चैंपियनशिप में 50.23 मीटर भाला फेंक कर इन्होने पहला पदक अपने नाम किया। ये पहला मौका था जब इन्होंने अपने खेल क्षेत्र में अपने पहले प्रयास में पदक जीता। नीरज चोपड़ा द्वारा विभिन्न प्रतियोगिताओं में बनाए गए रिकॉर्ड निम्नलिखित है :-
- साल 2012 में उत्तरप्रदेश के लखनऊ में आयोजित हुए भाला फेंक प्रतियोगिता में इन्होने 68.46 मीटर भाला फेंक कर गोल्ड मेडल अपने नाम किया।
- नेशनल यूथ चैंपियनशिप (2013) में इन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया था। ठीक इसके बाद आईएएएफ में भी इन्होंने अपनी पोजीशन बरकरार रखी।
- इंटर यूनिवर्सिटी कम्पटीशन में इन्होने 81.04 मीटर थ्रो फेंककर अपने ऐज ग्रुप में रिकॉर्ड अपने नाम किया। यह प्रतियोगिता सन 2015 में आयोजित हुई थी।
- 2016 में आयोजित एशियाई खेलों में नीरज ने पहले राउंड में ही 86.48 मीटर भाला फेंक कर नया रिकॉर्ड स्थापित किया और गोल्ड मेडल हासिल किया।
- साल 2018 में आयोजित नीरज चोपड़ा ने जकार्ता एशियन गेम में 88.06 मीटर भाला फेंक भारत का नाम पुरे एशिया में रोशन किया।
- नीरज चोपड़ा एशियाई गेम्स में गोल्ड हासिल करने वाले पहले भारतीय खिलाड़ी है ,उनसे पहले ये कारनामा किसी ने नही किया। इसके अलावा किसी कैलेंडर वर्ष में एशियाई और कामनवेल्थ में गोल्ड हासिल करने वाले वो एशिया के दूसरे खिलाड़ी है। इससे पहले धावक मिल्खा सिंह ने इस कीर्तिमान को स्थापित किया था।
नीरज चोपड़ा को मिले हुए विभिन्न पुरस्कार – नीरज चोपड़ा ने विभिन्न खेलो में उत्कृष्ट प्रदर्शन के दम पर कई सारे राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय पुरुस्कार अपने नाम किये है , आइये इनपर एक नज़र डाले
साल मेडल व पुरस्कार
2012 राष्ट्रीय जूनियर चैंपियनशिप गोल्ड मेडल
2013 राष्ट्रीय युवा चैंपियनशिप मेडल
2016 एशियाई जूनियर चैंपियनशिप गोल्ड मेडल
2017 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2017 में गोल्ड मेडल
2018 एशियन गेम्स 2018 गोल्ड मेडल
2021 टोक्यों ओलिंपिक गोल्ड मेडल
नीरज चोपड़ा का ओलिंपिक का सफ़र – नीरज चोपड़ा ने हर बार देश के लिए मेडल अपनी झोली में डाला है ,फिर चाहे वो एशियाई गेम्स हो , कॉमनवेल्थ गेम्स या फिर पोल्लैंड में हुई चैंपियनशिप। इस बार भी जब वो ओलिंपिक के लिए गए तो देश को उनसे बहुत सारी उम्मीदें थी।
Olympic के इतिहास मे भारत के लिए कोई भी खिलाड़ी एथलेटिक्स मे कोई मेडल नहीं जीता था। इस खालीपन को दूर करने के लिए पूरे देशवासियों की निगाहें इस बार भी सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों पर लगी थी जो कई सालों से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रहे थे।
सरकार ने बड़े खिलाडियों पर पानी की तरह पैसा बहाया था। हालाकि नीरज एक आर्मी के सूबेदार थे परन्तु उनकी तैयारी व्यक्तिगत स्तर पर चल रही थी। सरकार से उन्हें कोई खास सहायता प्राप्त नही हुई थी। वो पिछले कई साल से चोटिल भी चल रहे थे।
ये एक बुरा दौर था जिससें निकलने में उनके पिताजी ने उनकी पूरी मदद की। दिन था साथ अगस्त 2021, आत्मविश्वास से लबलब नीरज एकदम शांत और फुर्तीले नज़र आ रहे थे। उनके माथे पर किसी प्रकार का कोई बल नही था।
ऐसा लग रहा था जैसे वो पहले ही ठान के आये हो की उन्हें इस स्तर तक खेलना है। अपने पहले ही प्रयास में उन्होंने रिकॉर्ड 87.58 मीटर दूर भाला फेंका। इतनी दूरी तक भाला फेंकते ही पुरा भारतीय दल ख़ुशी से झूम उठा।
सब आश्वस्त थे की भारत की झोली में गोल्ड आना पक्का है और हुआ भी वही,भारत गोल्ड जीत चूका था। भारत का झंडा शान से लहरा रहा था। नीरज की आंखे एकदम शांत परन्तु नम थी। आज उन्हें कई वर्षो की तपश्या का फल मिल चुका था।
नीरज की विश्व रैंकिंग और उपहारों की बौछार
ओलिंपिक में मेंडल की बदौलत नीरज विश्व के चौथे नंबर के खिलाडी बन गए। जब वो भारत आये तो उनका भव्य स्वागत हुआ। देश की विभिन्न राज्य सरकारों ने उनके लिए इनामों की झड़ी लगा दी। हरियाणा सरकार ने उन्हें 6 करोड़ रुपये देने की घोषणा की, इसके साथ एक सरकारी नौकरी और राज्य में आधी कीमत पर सरकारी जमीन देने की भी घोषणा की।
पंजाब सरकार ने उन्हें 2 करोड़ का नगद इनाम देने की घोषणा की। इसके अलावा पंजाब सरकार ने उनके नाम पर विभिन्न विद्यालयों के नाम और सड़को के नाम रखने की घोषणा की।
क्रिकेट की सबसे बड़ी संस्था BCCI ने उन्हें 1 करोड़ रुपये देने की घोषणा की। वही गोरखपुर नगर निगम ने उन्हें 1 लाख रुपये का प्रोत्साहन पुरुस्कार देने की घोषणा की ।
देश की सस्ती हवाई सेवा देने वाली कंपनी इंडिगो ने उन्हें 1 साल तक मुफ्त यात्रा की टिकट देने की पेशकश की हैं।
एक साधारण किसान परिवार में जन्में नीरज ने मात्र 23 साल की युवा अवस्था में जो मुकाम हासिल किया वो वाकई अपने आप में एक कीर्तिमान है।
आज का युवा जहाँ बुरी लत में पढ़कर अपना जीवन बर्बाद कर लेते है वही नीरज हर नशे और बुरी लत से दूर रह कर कठिन तैयारी करते रहे। 2020 में चोटिल होने के बावजूद भी नीरज ने हार नही मानी और कई महीनो तक फील्ड से दूर रहने के पश्चात भी उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी।
ये उनकी दृढ़ इच्छा शक्ति ही थी जो उन्हें ओलिंपिक में मेडल दिला पाई। आज नीरज का नाम हर बच्चें की जुबान पर एक रोल मॉडल की तरह चढ़ चुका है।
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